L19desk:क्या हेमंत सोरेन अपने योजनाओं के जरिये मास्टरस्ट्रोक खेल गये हैं ? क्या इस बार विधानसभा चुनाव में अपने योजनाओं के जरिये इंडिया गठबंधन भाजपा को मात देने जा रही है ? दरअसल, झारखंड में विधानसभा का चुनाव बहुत नजदीक है। ऐसे में हेमंत सरकार सभी वर्ग के लोगों को साधने के लिये कुछ महत्वपूर्ण योजनायें लेकर आयी हैं, जो कि चुनाव के लिहाज से मास्टरस्ट्रोक साबित होने वाला है। इसके तहत पांच ऐसी योजनाओं को जनता तक ले जाने की तैयारी की गयी है, जो हेमंत सरकार की चर्चित योजनाओं में से है। इनमें झाऱखंड मुख्यमंत्री मईयां सम्मान योजना, सर्वजन पेंशन योजना, सीएम स्कूल ऑफ एक्सिलेंस, ओल्ड पेंशन स्कीम औऱ निजी क्षेत्र में 75% स्थानीयों के लिये आरक्षण जैसी योजनायें शामिल हैं। ये वैसी योजनायें हैं, जो सीधे तौर पर आम जनता से जुड़ी हुई हैं।झामुमो का मानना है कि इन योजनाओं का लोकसभा चुनाव में भी खासा असर रहा, जिसके वजह से पार्टी का वोट शेयर भी बढ़ा। साथ ही सीटों में भी वृद्धि देखने को मिली। जेएमएम को भरोसा है कि इन्हीं योजनाओं के बदौलत वह विधानसभा चुनाव में भी अपनी नैया पार लगा लेगी। लेकिन ऐसी क्या खासियत है इन योजनाओं में कि हेमंत सरकार इसे मास्टरस्ट्रोक मानकर चल रही है ? और क्या यही योजनाएं हेमंत सरकार के लिये चुनौती भी बन सकती हैं ?
सबसे पहले बात करें मईयां सम्मान योजना के बारे में तो यह झारखंड में फिलहाल बहुत हिट है। इस योजना के तहत राज्य की उन सभी 21 से लेकर 50 साल तक की महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये मिलने का प्रावधान है, जिनकी इनकम सालाना 8 लाख रुपये से कम है. यानि इन महिलाओं को सरकार सालाना 12 हजार रुपये देगी। बशर्ते वे सरकार की किसी भी अन्य पेंशन योजना का लाभ न ले रही हों। इस योजना को राज्य में गरीब और कमजोर वर्ग से आने वाली महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इससे महिलाएं छोटी-मोटी आवश्यकताओं के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहेंगी। मईयां सम्मान योजना के तहत झारखंड की 40 से 45 लाख गरीबी रेखा से नीचे आने वाली महिलाओं को लाभ मिल सकेगा।
इसके बाद सर्वजन पेंशन योजना के बारे में बात की जाये, तो यह हेमंत सरकार की दूसरी ऐसी हिट योजनाओं में से एक है। क्योंकि दूसरे राज्यों की तुलना में वृद्धावस्था, विधवा औऱ निशक्तजनों के पेंशन की राशि सबसे अधिक है। इस योजना के तहत हर महीने एक हजार रुपये पेंशन देने का प्रावधान है, जिसे आर्थिक और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शुरू किया गया है। इस योजना के तहत राज्य के सभी वृद्ध, विधवा, दिव्यांगजन, आदिम जनजाति और HIV एड्स से पीड़ित लोगों को जोड़ने का लक्ष्य है. हेमंत सरकार ने इस योजना की शुरुआत साल 2022 में की थी. पूर्व से चली आ रही इस योजना के तहत विधवा पेंशन की तय आयु 40 वर्ष और दिव्यांग के लिए निर्धारित 18 वर्ष की आयु सीमा को समाप्त कर दिया था. इस योजना से 13 लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य ऱखा गया है।
इसके अलावा, सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस भी हेमंत सोरेन सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है। इसकी शुरुआत प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर राज्य में शिक्षा की quality बढ़ाने के लिये की गयी है। इन स्कूलों का सिलेबस सीबीएससी आधारित है, और सभी सुविधाओं से इसे सुज्जित किये जाने की योजना है। अब तक 80 उत्कृष्ट विद्यालयों की शुरुआत राज्य के अलग अलग जिलों में हो चुकी है। इस संख्या को 40 हजार पार पहुंचाने का लक्ष्य है। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास से लेकर विभिन्न विषयों के लैब बनाए गए हैं।
अब बात करें ओल्ड पेंशन स्कीम की, तो इसकी मांग देशभर में की जा रही है। नयी पेंशन योजना से लोगों में नाराजगी है, जिसे देखते हुए गठबंधन सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का निर्णय लिया। इससे राज्य के करीब सवा लाख सरकारी सेवकों को ब़ड़ी राहत मिलने की संभावना है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद पुरानी पेंशन योजना को लागू करने वाला झारखंड तीसरा राज्य बना है.
ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी को उसके मूल वेतन का 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता है. इसमें कर्मचारियों का महंगाई भत्ता भी शामिल होता है। पेंशनधारी के 80 वर्ष उम्र होने पर मूल पेंशन में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है, जो 85 साल होने पर 30 फीसदी, 90 साल होने पर 40 फीसदी, और 100 साल होने पर 100 फीसदी बढ़ता है.
आखिर में बात करें निजी क्षेत्र में स्थानीयों को मिलने वाले 75 प्रतिशत आरक्षण की, तो इसके तहत 40 हजार वेतन तक वाले पदों को 75 प्रतिशत आरक्षित करने का प्रावधान है, जिसके जरिये लोगों को लोकल स्तर पर नौकरी मिल सके। इस कानून को साल 2021 में हेमंत सोरेन की सरकार ने लागू किया था।
हालांकि, इन योजनाओं में कुछ खामियां भी रहीं, जिसके वजह से हेमंत सोरेन जिसे मास्टरस्ट्रोक समझ रहे हैं, वह कुछ जगहों पर फेल भी हो सकता है।
मईयां सम्मान योजना जैसे जैसे हिट हो रही है, वैसे वैसे भाजपा ने इस योजना में खामियां गिनानी शुरु कर दी हैं। विपक्ष का कहना है कि इस योजना के जरिये राज्य की भोली भाली महिलाओं से वसूली की जा रही है। सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की बात करें, तो भले ही प्राइवेट स्कूल के तर्ज पर स्मार्ट क्लासेज, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की शुरुआत की गयी हो, लेकिन ऐसे कई स्कूलों में अब तक शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है। वहीं, ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर SBI, नीति आयोग और आर्थिक विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की थी। जानकारों का कहना है कि इस योजना को लागू करने में राज्य सरकार को हर साल काफी अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा।
राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने भी इस बात को स्वीकार किया था। इसके अलावा, निजी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के लिये आरक्षण तो एक अच्छी पहल है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि अब तक राज्य में स्थानीय नीति लागू नहीं है। झारखंड वासी 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने की मांग करते रहे हैं, लेकिन अब तक यह अस्तित्व में नहीं आ सका। यानि जब स्थानीय लोगों की पहचान ही नहीं हो सकेगी, तो उन्हें इस योजना का फायदा कैसे मिल सकेगा ?
ऐसे में देखा जाये तो भले ही हेमंत सोरेन अपनी योजनाओं को मास्टरस्ट्रोक मान कर चल रहे हों, लेकिन इस तरह की कुछ बड़ी बड़ी खामियां आगामी विधानसभा के चुनाव में हेमंत सरकार के लिये काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती हैं। विपक्ष को भी सरकार पर निशाना साधने का अच्छा मौका मिल सकता है।
इन योजनाओं के जरिये Hemant Soren खेल गये मास्टरस्ट्रोक !
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