RANCHI : एक तरफ रघुवर दास ने राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिया और दूसरी तरफ मोमेटम झारखंड का भूत बाहर निकल आया है। रघुवर के इस्तेफे के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वो झारखंड की सक्रिय राजनीति मे फिर से वापसी कर रहे हैं। अभी तक उन्होंने बीजेपी की सदस्यता तक नहीं ली है लेकिन मोमेंटम झारखण्ड की चर्चा होने लगी है। लगभग 4 साल बाद एक बार फिर मोमेंटम झारखण्ड का मुद्दा गर्माने लगा है। रघुवर दास और मोमटेम झारखंड का रिस्ता मानों चोली दामन का है। जब जब जहां जहां रघुवर दास का जिक्र होगा तब तब वहां वहां मोमेटम झारखंड का जिक्र होना मानो अनिवार्य सा हो गया है।
जिस दिन रघुवर दास ने उड़ीसा के राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिया और यह चर्चा तेज हुई की वो झारखंड की राजनीति में वापसी कर रहे हैं उसी दिन ही मोमेंटम झारखंड मामले की शिकायत ACB में दर्ज कराने वाले सोशल और आरटीई एक्टिविस्ट पंकज यादव ने RTI लगाकर ACB से पूछा है कि मोमटेम झारखंड घोटाले में दर्ज शिकायत पर अभी तक क्या कार्रवाई हुई है? पंकज यादव ने RTI के माध्यम यह भी जानने की कोशिश की है कि इस मामले में रघुवर दास, राजबाला वर्मा को नोटिस जारी हुआ है कि नहीं! साथ ही पंकज ने ACB से अब तक की गयी जांच की रिपोर्ट भी मांगी है, ताकि वे झारखंड हाई कोर्ट के संज्ञान में इस मामले को ला सके। जानकारी के लिए बताते चलें कि साल 2017 में रघुवर दास की सरकार में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया जिसे मोमेटम झारखंड नाम दिया गया था। रघुवर सरकार का दावा था कि राजधानी स्थित खेलगांव परिसर मे दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में लगभग तीन लाख करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट का प्रस्ताव मिल चूका था।
इस कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वीडियो संदेश से हुई थी। साल 2020 में जनसभा नामक संस्था के बैनर तले पंकज कुमार यादव नामक सोशल एक्टिविस्ट ने मोमेटम झारखंड के आयोजन में 100 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, राजबाला वर्मा, सुनील वर्णवाल, के रवि कुमार, अजय कुमार समेत अन्य लोगों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की थी। पंकज का आरोप है कि मुख्यमंत्री रहते हुए रघुवर दास द्वारा अपनी राजनीतिक छवि को चमकाने के लिए इस इवेंट का आयोजन किया गया था। उन्होंने दावा किया कि इस कार्यक्रम के नाम पर झारखंड की जनता के 100 करोड़ रुपये विदेशों में रोड शो, फर्जी कंपनियों से एमओयू साइन करने और अपनों को ठेके दिलाने में बर्बाद कर दिए गए।
पंकज ने आरोप लगाया था कि इस आयोजन से न तो कोई बड़ी कंपनी झारखंड में निवेश करने आई और न ही स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिले। इस शिकायत पर एसीबी ने प्रारंभिक जांच दर्ज की थी, जिसे बाद में सीआईडी को सौंप दिया गया। अब देखना यह है कि RTI एक्टिविस्ट पंकज को ACB क्या जवाब देती है? लेकिन अगर 4 साल बाद मोमेटम झारखंड का भूत बाहर आया है तो झारखंड की राजनीति में कुछ न कुछ तो जरुर होगा। जोहार