L19 DESK : तेजी से बदल रहे पर्यारण का प्रभाव सबसे अधिक किसानों और ग्रामीण समुदाय पर देखने को मिल रहा है. ऐसे में समय रहते इन्हें इससे बचाव के तरीकों के बारे में भी सजग करना होगा. इसी सोच के साथ गुरूवार 19 दिसंबर को पेटरवार के वन विश्रामागार में वन विभाग के साथ असर, एसआईडीएचए और पंच सफर नामक संस्था के संयुक्त प्रयास से एक कार्यशाला ‘’जलवायु परिवर्तन और हम एक पहल समाधान की ओर’’ का आयोजन किया गया. जहां बड़ी संख्या में पेटरवार और आसपास के इलाकों से वन रक्षा समिति से जुड़े लोग और पंचायत प्रतिनिधि शामिल हुए.
मौके पर पर बतौर मुख्य अतिथि एपीपीसीएफ रवि रंजन ने कहा कि नेशनल मिशन ऑन स्ट्रैटेजिक नॉलेज फॉर क्लाइमेट चेंज से पूरे झारखंड में 25,000 हजार लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को आगामी पांच साल में पूरा किया जाएगा.
वहीं, पर्यावरण के हर क्षण बदलते हालात के बारे में उन्होंने कहा कि दुनियाभर में इसका असर देखा जा रहा है. सऊदी में बर्फबारी तो पाकिस्तान में बाढ़ आने लगा है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं रहा है. इसरो के एक रिसर्च का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि झारखंड का 69 प्रतिशत इलाका मरुस्थल में तब्दील होने के कगार पर जा रहा है. यही वजह है कि पानी की किल्लत राज्य में देखी जा रही है. पानी को रोकने का उपाय करना होगा.
उन्होंने कहा, औद्योगिकरण के कारण धरती का तापमान 1.1 डिग्री बढ़ गया है. इससे बरसात के समय में तेजी से बदलाव हो रहा है. खतरा दरवाजे पर आए, उससे पहले सचेत होने की आवश्यकता है. इसके लिए वर्कशॉप के इतर जो असली काम होना है, वो गांव में, गांव के लोगों के द्वारा ही किया जा सकता है. जंगल के साथ रहने वाले लोग ही इसे बचाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं.
मौके पर बोकारो के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना के तहत राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन के लिए रणनीतिक ज्ञान मिशन (एनएमएसकेसीसी) संचालित होता है. इसकी शुरूआत साल 2008 में हुई थी. इसका उद्देश्य है जलवायु परिवर्तन के बचाव के विभिन्न उपायों के बारे में ग्रामीणों को बताया जाए, साथ ही इस संबंध में स्थानीय स्तर पर चल रहे पहल को उनसे समझा जाए.
कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोगी संस्था असर के मुन्ना झा, इश्तियाक अहमद, एसआईडीएचए के हेमंत कुमार, गुलाबचंद्र, मनीष कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.