L19 DESK : अब अगर पति अपनी पत्नी पर आरोप लगाता है कि उसका ऑफिस में किसी गैर मर्द के साथ चक्कर है तो यह मानसिक क्रूरता कहलायेगा। वहीं कोई पत्नी अपने पति के मर्दानगी को लेकर आरोप लगाती है और उसे नपुंसकता जांच के लिये मजबूर करती है, तो यह भी मानसिक क्रूरता ही कहलायेगा। ये बातें दिल्ली हाईकोर्ट में एक सुनवाई के दौरान कहीं।
बीते दिनों जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल की खंडपीठ ने कहा कि एक पत्नी द्वारा अपने पति की मर्दानगी के बारे में आरोप लगाना बहुत निराशाजनक और मानसिक तौर पर दर्दनाक हो सकता है। यह पति के मानसिक उत्पीड़न में सहयोग करता है। अदालत ने कहा कि दहेज की मांग का झूठा आरोप लगाना, अपने पति को नपुंसक करार देकर उसे नपुंसकता जाच के लिये मजबूर करना मानसिक रुप से पीड़ादायक है। ये बातें पति के दिमाग में चोट करने के लिये पर्याप्त हैं।
एक केस की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने टिप्पणी की कि प्रार्थी पत्नी के स्वीकार करने से ये स्पष्ट होता है कि प्रतिवादी को नपुंसकता परीक्षण से गुजरना पड़ा। यह किसी व्यक्ति की मर्दानगी के बारे में ऐसे दावे और आरोप न केवल निराशाजनक है, बल्कि किसी भी व्यक्ति के लिये मानसिक रुप से दर्दनाक साबित हो सकता है।
केस पर सुनवाई करते हुए अदालत इस निष्कर्श पर आयी कि पति के खिलाफ पत्नी का आरोप लापरवाही भरा, अपमानजनक और निराधार था। यह जीवनसंगी के छवि को खराब करने वाला और बहुत ही क्रूरता वाला काम है।
बता दें कि केस में जिस जोड़े का जिक्र हो रहा है, उन्होंने साल 2000 में शादी रचाई थी। उनका एक बेटा भी है। उनकी शादी के प्रारंभिक वर्षों में ही विवाद शुरु हो गये। पति का आरोप है कि पत्नी उसे हमेशा बुरा भला कहती रहती है। वह लोगों को बताती थी कि उसकी सास उसे पीटती है, और उसके पति के शादी के बावजूद गैर औरतों के साथ संबंध हैं। उसके परिवार ने दहेज लिया है। पीड़ित पति ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी ने उसे जबरदस्ती नपुंसकता जांच कराने के लिये मजबूर किया।