L19/Jamtara : झारखंड का जामताड़ा वैसे तो साइबर ठगी के लिये विश्वभर में मशहूर है। मगर, इस जिले को काजू की खेती के लिये भी जाना जाता है। अब जिले से एक महत्वपूर्ण खबर निकल कर सामने आ रही है। बताया जाता है कि जामताड़ा जिले में काजू की बिक्री आलू प्याज के भाव में हो रही है। यह ड्राई फ्रूट अमीरों को आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। अमूमन 800 से 1200 रुपये किलो के रेट से बिकने वाला काजू गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिये बजट के बाहर होता है। मगर इतनी महंगाई के बावजूद जामताड़ा जिले में काजू इतने सस्ते दामों में उपलब्ध हैं।
बताया जा रहा है कि जामताड़ा के नाला प्रखंड के किसान काजू को 50-60 रुपये प्रति किलो की दर से बेचने को मजबूर हैं। दरअसल, सैकड़ो एकड़ (लगभग 7 से 8 किलोमीटर) जैसी बड़े एरिया में किसानों के द्वारा काजू की खेती की जाती है। इन एरिया में हर साल करीब सैकड़ो टन काजू की उपज होती है। इसके बावजूद इस क्षेत्र में काजू प्रोसेसिंग प्लांट के अभाव के कारण किसान दूसरे राज्यों से आने वाले ड्राई फ्रूट्स कारोबारियों के हाथों सस्ते दामों पर इसे को बेच देते हैं। वहीं, ड्राई फ्रूट्स कारोबारी काजू उत्पादकों से महज 40 से 50 रुपए किलो की दर से खरीदकर इसे प्रोसेसिंग प्लांट में प्रोसेस करवा कर 800 से लेकर 1200 रुपयो की दर से बाजारों में बेचते हैं।
बता दें कि काजू की खेती केवल जामताड़ा में ही नहीं है, बल्कि संथाल परगना क्षेत्र के अन्य जिलों में भी बड़े पैमाने पर किसान काजू की खेती करते हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, झारखंड के संथाल परगना की जमीन काजू की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है। यहां पर पैदा होने वाली काजू बेस्ट क्वालिटी की होती है।
स्थानीयों के अनुसार, जामताड़ा के पूर्व उपायुक्त कृपानंद झा ने जिले के नाला प्रखंड की भौगोलिक स्थिति और वहां की मिट्टी की जांच करवा कर काजू की खेती की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे काजू की खेती इतनी प्रचलित हो गयी, कि नाला प्रखंड के हजारों किसान काजू की खेती करने लगे। आज जिले में तकरीबन 70 – 90 एकड़ काजू की खेती होती है।