L19/Ranchi : रांची में जमीन का गोरखधंधा वर्षों से चल रहा है। लेकिन ईडी की कार्रवाई के बाद जिस तरह जमीन घोटालों का खुलासा हुआ, उसके बाद गलत तरीके से जमीन की खरीद-बिक्री की शिकायतों का ढेर लग गया है। ईडी के पास रांची के चर्चित जमीन की खरीद-बिक्री के दर्जनों मामले पहुंचे हैं। इसमें नामकुम के चाय बागान में 100 एकड़ जमीन की अवैध तरीके से बिक्री, नगड़ी के पुंदाग में 383 खाता की 100 एकड़ से अधिक जमीन का म्यूटेशन करने, बुंडू में मात्र 10 करोड़ में 1457 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री, बड़गांई में 50 एकड़ से अधिक गैर मजरुआ जमीन की गलत तरीके से खरीद-बिक्री, बीआईटी मेसरा के लिए अधिग्रहित की गई जमीन में से करीब 60 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री, कांके अंचल क्षेत्र में रिंग रोड के दोनों किनारे, लॉ यूनिवर्सिटी के पीछे और चामा मौज़ा में प्रभावशाली लोगों द्वारा करीब 200 एकड़ आदिवासी खाता की जमीन को गैर आदिवासी बनाकर बेचने, हेहल अंचल में 250 एकड़ से अधिक जमीन की खरीद-बिक्री फर्जी कागजात पर करने सहित करीब 100 शिकायतें ईडी के पास पहुंची हैं। ईडी अब जमीन के बड़े मामलों की जांच करेगा।
इसके लिए कागजात जुटाए जा रहे हैं। फर्जी कागजात पर जमीन की खरीद-बिक्री व म्यूटेशन करने के मामले में पिछले दस वर्षों से रांची में पदस्थापित सब-रजिस्ट्रार, सीओ, सीआई व कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच होगी। क्यूंकि, करीब एक दर्जन पदाधिकारियों की शिकायतें ईडी को मिली हैं।नामकुम अंचल के बरगांवा मौजा की 100 एकड़ से अधिक जमीन का रेकर्ड ही गायब है। भू-माफियाओं ने रांची के अपर समाहर्त्ता भू-हदबंदी के कार्यालय में भू-हदबंदी वाद संख्या 144/73-74 का रेकर्ड कार्यालय से गायब करा दिया। इस मामले में अपर समाहर्त्ता भू-हदबंदी ने अज्ञात लोगों के विरुद्ध कोतवाली थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया है कि नामकुम अंचल के मौजा बरगांवा के खाता नंबर 221 के प्लॉट नंबर 128, खाता संख्या 125 के प्लॉट नंबर 09, खाता संख्या 124 के प्लॉट नंबर 10, खाता संख्या- 215 के प्लॉट नंबर 121, 123, 125 से संबंधित रेकर्ड कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। चाय बागान में जमीन की कीमत 5 से 6 लाख रुपए प्रति डिसमिल है। ऐसे में 100 एकड़ की कीमत कम से कम 500 करोड़ रुपए होती है। बुंडू अंचल में पांच वर्ष पहले 1457 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री में भी गड़बड़ी हुई थी। इस मामले की जांच तत्कालीन दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडलीय आयुक्त डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने कराई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि रांची के बिल्डर कोसी कंसल्टेंट और शाकंभरी बिल्डर्स ने बुंडू अंचल के 12 गांवों में आने वाली सभी जमीन की रजिस्ट्री दो डीड के माध्यम से कराई।
जमीन का सरकारी वैल्यू मात्र 10 करोड़ रुपए बताया गया। मामले में तत्कालीन डीसी की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया।
रांची के मेसरा में स्थित बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी) के लिए वर्ष 1958-59 और 1964-65 में अधिग्रहित 730 एकड़ जमीन में से 60 एकड़ जमीन अवैध तरीके से बेच दी गई। अंचल के पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने म्यूटेशन भी कर दिया। एक ही जमीन पर दोहरी जमाबंदी खोल दी गई। इस मामले में बीआईटी के कुल सचिव ने कांके सीओ को पत्र लिखकर अवैध जमाबंदी रद्द करने का आग्रह किया। तब जाकर सीओ ने मामला सुलझाया। नगड़ी अंचल के पुंदाग मौजा के खाता नंबर 383 की 100 एकड़ से अधिक जमीन गलत तरीके से बेच दी गई। नगड़ी के कई सीओ ने जमीन दलालों व खरीददारों से सांठगांठ कर म्यूटेशन भी कर दिया। पिछले वर्ष नगड़ी सीओ व अपर समाहर्ता की जांच रिपोर्ट के आधार पर रांची डीसी कोर्ट ने करीब 50 एकड़ जमीन की जमाबंदी रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन प्रभावशाली लोगों के दबाव में कार्रवाई रुक गई। क्योंकि, दर्जनों आईएएस-आईपीएस व अधिकारियों ने जमीन ली है। कांके अंचल में 200 एकड़ से अधिक आदिवासी जमीन के फर्जी कागजात बनाकर गैर आदिवासी दिखाते हुए बेचने का मामला भी सामने आया है। रिंग रोड के किनारे दर्जनों खाता-प्लॉट की जमीन बेची गई। इसके अलावा लॉ यूनिवर्सिटी के पीछे एक डेवलपर द्वारा नदी की जमीन को पाट कर प्लोटिंग करने, चामा मौजा में प्रभावशाली लोगों द्वारा आदिवासी खाता की जमीन फर्जी कागजात पर खरीदने और गलत तरीके से म्यूटेशन किए जाने की शिकायत की गई है।