L19/Ranchi : रांची के सबसे बड़े मॉल के लिये प्रख्यात न्युक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल से इन दिनों ईडी पूछताछ कर रही है। ईडी ने आज पूछताछ के लिये विष्णु अग्रवाल को समन भेजकर 26 जुलाई को ईडी कार्यालय में हाजिर होने का निर्देश दिया है। इससे ठीक पहले 17 जुलाई को भी उन्हें पेश होने को कहा गया था, मगर विष्णु अग्रवाल ने वही घीसा पीटा तबीयत खराब का बहाना बनाते हुए 3 सप्ताह का समय मांगा। मगर क्या है मामला और कौन हैं विष्णु अग्रवाल?
कौन हैं विष्णु अग्रवाल?
विष्णु अग्रवाल पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के रहने वाले हैं और वह आसनसोल में अपना कारोबार करते हैं। 7-8 साल पहले वह रांची में आये और अपना कारोबार यहां भी जमा लिया। बड़े और नामचीन मॉल और होटल खोले। इसमें लालपुर का न्युक्लियस मॉल, कांके का न्युक्लियस हाइट्स लोगों के बीच फेमस हैं। और आज वो 500 करोड़ से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं। ये कहानी आपको जोश टॉक्स की किसी कहानी से जरूर मिलता जुलता सुनाई पड़ रहा होगा, और बहुत प्रेरणादायक भी लग रहा होगा। पर आपको बता दें ये पैसे अवैध कमाई के हैं। विष्णु अग्रवाल पर सेना की कब्जे वाली जमीन को अवैध रुप से खरीद बिक्री करने का आरोप है। इसमें बरियातु रोड के बड़गाई स्थित 4.55 एकड़ जमीन, सीरमटोली स्थित 5 एकड़ जमीन, चेशायर होम रोड स्थित 1 एकड़ जमीन, नामकुम अंचल के पुगड़ू मौजा की 9.30 एकड़ जमीन, नामकुम अंचल के ही तुपुदाना स्थित बसारगढ़ की 10 एकड़ जमीन शामिल है। और इनमें लगभग सारी जमीने सेना की कब्जे वाली हैं।
आपको बता दें, चेशायर होम रोड स्थित सेना की कब्जे वाली जमीन की खरीद बिक्री के मामले में रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन समेत 11 लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं। इसमें कोलकाता के ही कई सेल कंपनियों के मालिक अमित अग्रवाल भी शामिल हैं। ईडी की जांच में ये भी सामने आया है कि विष्णु अग्रवाल ने रांची के अधिकतर प्राइम लोकेशन में फर्जी दस्तावेजों के जरिये ज़मीन खरीदा है। यही नहीं, झारखंड सरकार तक को इन्होंने चूना लगा रखा है। झारखंड के कई बड़े राजनेताओं के काले धन को सफेद करने में इनकी मुख्य भूमिका रही है। सुदेश महतो सहित कई राजनीतिक दल के नेताओं के ये फाइनेंशियल पार्टनर भी रह चुके हैं।
विष्णु अग्रवाल सहित अन्य लोगों के ठिकानों पर ईडी ने सबसे पहले 4 नवंबर, 2022 को डॉक्युमेंट्स में फेरबदल कर जमीन की खरीद बिक्री मामले में छापा मारा था। छापेमारी के दौरान उसके मोबाइल नंबर की जांच पड़ताल में यह बात सामने आयी कि विष्णु अग्रवाल ने छवि रंजन को गोवा की सैर करायी थी। खाने पीने रहने का सारा इंतजाम विष्णु अग्रवाल ने ही किया था। मगर इस बात को छिपाने के लिये उसने ट्रैवेल एजेंट के जरिये यात्रा की व्यवस्था की। इस ट्रैवल एजेंट को नकद भुगतान किया गया था। जांच में पता चला कि इसके बदले छवि रंजन ने नामकुम अंचल के पुगड़ू मौजा में जमीन खरीद के मामले में विष्णु अग्रवाल की मदद की थी। फिलहाल इस मामले में जांच चल रही है और छवि रंजन का पक्ष जानना बाकि है। बता दें ये जांच आयुक्त के स्तर से चल रही थी।
जांच में यह भी पता चला कि साल 2019 में बरियातु स्थित बड़गाई अंचल के मोरहाबादी मौजा की सेना की कब्जे वाली जमीन को जमशेदपुर के एक जमीन कारोबारी ने साल 2019 में 14 लोगों को बेच दिया था। बेची गयी जमीन के डीड को रद्द करने के लिये सेना की ओर से तत्कालीन रांची डीसी छवि रंजन को एक पत्र सौंपा था।
इसके साथ ही चेशायर होम रोड स्थित सेना की कब्जे वाली 1 एकड़ जमीन की खरीद में भी फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया है। इस मामले में राजेश राय और भरत प्रसाद को पहले ही ईडी गिरफ्तार कर चुकी है। फर्जी मालिक राजेश राय से इम्तियाज और भरत प्रसाद ने इस जमीन को बेचने के लिये पावर ऑफ अटॉर्नी ली थी। इसमें पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश की भी अहम भूमिका रही है। औऱ वह फिलहाल अवैध खनन मामले में मनी लाउंड्रिंग के आरोप में जेल की हवा खा रहे हैं। ईडी ने इसी संबंध में विष्णु अग्रवाल को पूछताछ के लिये बुलाया था। यह चौथी बार है जब ईडी ने समन भेजकर विष्णु अग्रवाल को ईडी ऑफिस में पेश होने का निर्देश दिया है। आज से ठीक एक महीने पहले 21 जून को विष्णु अग्रवाल ईडी के समक्ष पेश हुए थे। जहां उनसे दिनभर पूछताछ चली थी। ईडी अफसरों ने उनसे जमीन से संबंधित कागजात मांगे थे जिसमें से कई तो विष्णु अग्रवाल के पास थे ही नहीं। कई सवालों के जवाब भी वह नहीं दे पाये थे।
पूछताछ में उनसे उनकी परिवार के सदस्यों की संपत्ति से जुड़ी जानकारी ली गयी। जिसमें विष्णु ने खुद को जमीन खरीद के मामले में बेकसूर साबित करने की कोशिश की। मगर वह इस सवाल का जवाब देने में नाकामयाब रहे कि जमीन मालिकों ने सरकार के सर्कल रेट से कम कीमतों पर उन्हें जमीन क्यों दी। औऱ छवि रंजन ने नामकुम स्थित पुगड़ू जमीन खरीदने में उनकी मदद क्यों की। पूछताछ खत्म होने के बाद उन्हें शाम को छोड़ दिया गया। मगर इस बार के पूछताछ के दौरान विष्णु अग्रवाल की गिरफ्तारी के कयास लगाये जा रहे हैं। अब देखने वाली बात ये है कि इन जमीन घोटाले के आरोपियों की कब तक जांच चलती है। और कितने अपराधियों का पर्दाफाश होना बाकि है।