l19/DESK : राज्य में पुलिस क प्रति लोगों का विश्वास टूटता जा रहा है ऐसे में झारखंड पुलिस की छवि और कामकाज के तरीके को सुधारने की कवायद शुरू के दी गई है। डीजीपी अनुराग गुप्ता की ओर सेराज्य के 24 जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र लिखा गया है। जारी पत्र में आदेश दिया गया है कि अगर कोई भी साइबर क्राइम, एसटी-एससी, मानव तस्करी और महिला अपराध से जुड़े मामले को लेकर किसी भी थाना में पहुंचता है तो उसी थाना में फौरन प्राथमिकी दर्ज करनी होगी। DGP ने स्पष्ट किया है कि बेशक, महिला अपराध और साइबर क्राइम के लिए अलग से थाने बने हैं, इसका मतलब यह नहीं कि इससे जुड़े मामले उन्हीं थानों में दर्ज हों।
डीजीपी द्वारा जारी पत्र में लिखा गया है कि अक्सर शिकायत मिलती है कि शिकायत दर्ज कराने के लिए आम लोग जब थाना पहुंचते हैं तो थाना प्रभारी और मुंशी के स्तर पर रसीद प्राप्ति भी नहीं दी जाती है। लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं होता है लिहाजा, आम लोगों को भटकाने की जानकारी मिलते ही संबंधित थाना प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी है।
इधर झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने डीजीपी के इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि जनता को न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए। अगर क्षेत्र की समस्या है तो जीरो एफआईआर करके संबंधित थाना को भेज सकते हैं। यह बहुत अच्छी सोच है,इससे जनता और पुलिस के बीच की दूरी कम होगी।,इसका सभी ने स्वागत किया है। इसका असर दिखने की उम्मीद है, एक माह के भीतर काफी लोग सिपाही से जमादार बन जाएंगे,इसलिए मैन पावर की भी कमी नहीं रहेगी।
पत्र के माध्यम से डीजीपी ने BNSS-173 के प्रावधान का हवाला देते हुए कहा है कि अपराध किए गए क्षेत्र पर विचार किए बिना, थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्ज करनी है। अगर कोई थाना प्रभारी ऐसा नहीं करता है तो उसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा। डीजीपी ने सभी डीआईजी और पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित कराने को कहा है कि अगर थाना स्तर पर बात नहीं सुनी जा रही है तो भुक्तभोगी अपनी शिकायत दर्ज करा लें। यह भी निर्देशित किया गया है कि जिस थाने में फरियादी के साथ दुर्व्यवहार होता है तो संबंधित पुलिसकर्मी को चिन्हित कर उसे वहां तो फौरन हटा दिया जाए।