L19 DESK : पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की पुण्यतिथि आज है। आरडी मुंडा के नाम से देश और दुनिया में मशहूर रामदयाल मुंडा का जन्म झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 60 किलोमीटर दूर तमाड़ के दिउड़ी की दूरी नामक गांव में 23 अगस्त 1939 को हुआ था। वह शिक्षा शास्त्र और समाजशास्त्र के साथ-साथ लेखक तथा एक कलाकार भी थे। उन्होंने आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए झारखंड से “संयुक्त राष्ट्र संघ” तक आवाजें बुलंद की।
डॉ राम दयाल मुंडा की प्रारंभिक शिक्षा अमलेसा लूथरन मिशन स्कूल तमाड़ में हुआ था। खूंटी उच्च विद्यालय से उन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने 1963 में रांची विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके पश्चात वे उच्च शिक्षा में अध्ययन एवं शोध के लिए “शिकागो विश्वविद्यालय अमेरिका” चले गए। जहां से उन्होंने 1968 में भाषा विज्ञान में “पीएचडी” की डिग्री प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने 1968 से 1971 तक “दक्षिण एशियाई भाषा एवं संस्कृति विभाग” में शोध और अध्ययन किया।
डॉ रामदयाल मुंडा भारत के दलित और आदिवासी समाज की आवाज थे। 1960 के दशक में डॉ मुण्डा ने एक छात्रा और नर्तक के रूप में संगीतकारों की एक मंडली बनायी। 1980 के दशक में उन्हे “कमेटी ऑन झारखंड मैटर” का प्रमुख सदस्य बनाया गया। देश-विदेश में हुए कई कार्यक्रमों में उन्होंने झारखंडी संस्कृति को आगे बढ़ाया। उनकी कई संगीत रचनाएं लोकप्रिय हुई। पाइका नृत्य का प्रदर्शन उन्होंने 90 के दशक में सोवियत रूस में कर दुनिया भर में पहचान दिलाई।
आदिवासियों के अधिकारों के लिए उन्होंने हमेशा से ‘शिक्षा’ को सर्वोपरि माना। विश्व आदिवासी दिवस प्रतिवर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है, इसमें उनका बड़ा योगदान रहा था। आदिवासियों के हितों के लिए वे हमेशा कार्य करते रहें। यही कारण है कि वह 1980 के दशक में अमेरिका से अध्यापक की नौकरी छोड़ रांची चले आए और यहां के दबे कुचले समाज तथा आदिवासियों की आवाज बन गए।
डॉ मुंडा न केवल शिक्षा विद और समाजशास्त्री ही नहीं बल्कि एक प्रबुद्ध रचनाकार भी थे। मुंडारी, नागपुरी, पंचपरगनिया जैसेआदिवासी और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी में भी गीत-कविताओं के अतिरिक्त गद्य साहित्य में भी रचना की है। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की तथा कई निबंध प्रकाशित हुए। साथ ही डॉ मुंडा ने कई पुस्तकों का अनुवाद भी किया।
पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की लिखी हुई कुछ प्रमुख पुस्तकें
- हिसिर
- सेलेद
- प्रोटो-खरवारियन साउंड सिस्टम
- मुंडारी गीतकार, श्री बुदु बाबू और उनकी रचनाएं
- ओशन ऑफ लाफ्टर (जगदीश्वर भट्टाचार्य के संस्कृत नाटक का अंग्रेजी में रूपांतरण किया)
- कल्याणी (जैनेंद्र कुमार के हिंदी उपन्यास का अंग्रेजी में किया अनुवाद)
- होली मैन ऑफ जमनिया (बाबा नागार्जुन के हिंदी उपन्यास जमनिया का बाबा का अंग्रेजी में अनुवाद)
- कुछ नाई नागपुरी गीत
- मुंडारी व्याकरण (मुंडारी ग्रामर)
- ध्रुव स्वामिनी (जयशंकर प्रसाद के हिंदी नाटक का अंग्रेजी में किया अनुवाद)
- इआ नावा कानिको (सात नई कहानियां)
- तितली (जयशंकर प्रसाद के हिंदी उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद)
- नदी और उसके संबंध तथा अन्य नगीत
- द सन चैरियटीयर (रामधारी सिंह दिनकर की लंबी कविता रश्मिरथी का अंग्रेजी में अनुवाद
- लैंग्वेज ऑफ पोएट्री
- बिरसा मुंडा (महाश्वेता देवी के बांग्ला उपन्या का हिंदी में अनुवाद)
- वापसी, पुनर्मिलन और अन्य नगीत
- ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन का संविधान
- इंट्रोडक्शन टू इंडीजिनस एंड ट्राइबल सॉलिडेरिटी
- आदिवासी अस्तित्व और झारखंडी अस्मिता के सवाल
- अदांदी बोंगा (विवाह मंत्र)
- जी-तोनोल (मन बंधन)
- जी-रानारा (मन बिछुड़न)
- एनिओन (जागरण)
- बीए (एसच) बोंगा (सरहुल मंत्र) मुंडारी-हिंदी संस्करण
- गोनो? पारोमेन बोंगा (श्रद्धा मंत्र), मुंडारी-हिंदी संस्करण
- आदि धरम, भारतीय आदिवासियों की धार्मिक आस्थाएं
- सोसोबोंगा (भेलवा पूजन) पुनर्नवीकृत