L19 DESK : झारखंड में बेटियों को पढ़ाने के लिए हर प्रखंड में कस्तूरबा गांधी और झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय चल रहे हैं। इन स्कूलों में न सुविधा है न कोई साधन। जिस कमरे में क्लास होती है, उसी में सभी बालिका खाना खाती और सोती है। किसी स्कूल में एक ही बेड पर 3-4 छात्राएं सोती हैं तो कहीं जमीन पर ही क्लास ली जाती है। अगर किसी छात्रा ने सुविधा मांग ली तो उन्हें सजा दी जाती है। राज्य में बेटियां पढ़ें और आगे बढ़ें, इसके लिए 2004 में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय योजना की सुरूवात की गई थी।
राज्य में 269 आवासीय स्कूल हैं। इसमें 203 कस्तूरबा गांधी और 66 झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय हैं। भास्कर ने 17 जिले के 153 आवासीय विद्यालयों की छानबीन की गई। इनमें आधे ऐसे मिले जहां सुविधा, सुरक्षा व साधन के अभाव में बेटियाें के सपने टूट रहे है। आवासीय विद्यालय में रहने वाली छात्राओं के नाम पर प्रति माह 1500 रुपए मिलते हैं जो उन्हे प्रयप्त नहीं होता हैं।