L19 Desk : क्या झारखंड में सहायक आचार्य नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लग सकती है ? क्या 26 हजार पदों पर होने वाली भर्ती अब रुक जायेगी ? क्या जेटेट पास अभ्यर्थियों के पक्ष में आया फैसला अब बदल जायेगा ? ये सवाल इसलिये उठ रहे हैं क्योंकि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था जेटेट पास अभ्यर्थियों के पक्ष में, अब उसके खिलाफ सीटेट पास अभ्यर्थी रिव्यू पिटिशन दायर करने वाले हैं। इससे संभावना बन रही है कि 26 हजार पदों पर होने वाले सहायक आचार्य नियुक्ति प्रक्रिया पर भी खतरा मंडरा सकता है।
दरअसल, बीते 30 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया कि सिर्फ JTET पास अभ्यर्थियों को ही इस भर्ती में मौका मिलेगा, जबकि CTET पास अभ्यर्थियों को इसमें मान्यता नहीं दी जाएगी। इसके बाद जेएसएससी ने भी सूचना जारी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहायक आचार्य परीक्षा प्रभावित होगी। आपको बता दें कि जून 2023 में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने कार्मिक विभाग की मंजूरी के बाद सहायक आचार्य नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी.
इस नियुक्ति के तहत प्राथमिक विद्यालयों में 11,000 शिक्षक और माध्यमिक विद्यालयों के लिए 15,001 शिक्षक नियुक्त किए जाने थे. इस नियुक्ति प्रक्रिया में केवल झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा यानि (JTET) पास उम्मीदवारों को ही पात्र माना गया था, जिससे राज्य के सीटेट पास अभ्यर्थियों ने नाराज होकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इस बीच, आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य के CTET पास या पड़ोसी राज्यों से TET पास अभ्यर्थियों को भी इस परीक्षा में शामिल होने दिया जाए.
हालांकि, इन अभ्यर्थियों को झारखंड में अगले तीन साल के भीतर जेटेट पास करना अनिवार्य किया गया. अगर राज्य सरकार तीन साल में JTET नहीं करा पाती, तो यह शर्त लागू नहीं होगी. झारखंड में 2016 में आखिरी बार जेटेट की परीक्षा आयोजित की गई थी. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ जेटेट अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई में ही परीक्षा के नतीजों पर रोक लगा दी थी. 30 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया कि सिर्फ JTET पास अभ्यर्थियों को ही इस भर्ती में मौका मिलेगा, जबकि CTET पास अभ्यर्थियों को इसमें मान्यता नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया था।
मगर कोर्ट के इस फैसले के बाद झारखंड के सीटेट पास अभ्यर्थी अदालत में रिव्यू पिटीशन डालने की तैयारी कर रहे हैं। सीटेट पास अभ्यर्थियों का कहना है कि जेटेट अभ्यर्थियों ने कोर्ट को यह कहकर गुमराह किया है कि सीटेट पास अभ्यर्थियों को झारखंड के क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा का ज्ञान नहीं है। जबकि सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा का भी पेपर था, और सीटेट पास अभ्यर्थियों ने इन पेपर्स का एग्जाम भी दिया था।
इन अभ्यर्थियों का ये भी आरोप है कि नियुक्ति प्रक्रिया के बीच सरकार के द्वारा कई दफा नियमावली में अहम बदलाव भी किये गये। खुद सरकार ने National Council for Teacher Education के गाइडलाइन्स का उल्लंघन करते हुए सालों से जेटेट की परीक्षा आयोजित नहीं करायी। NCTE के दिशा-निर्देशों के अनुसार, हर राज्य को साल में कम से कम एक बार टेट परीक्षा अनिवार्य रूप से आयोजित करानी है। इसी वजह से हाईकोर्ट ने सीटेट क्वालिफाइड अभ्यर्थियों को भी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी थी।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद जब सरकार ने सीटेट वालों का एप्लीकेशन लेने के लिये पोर्टल खोला, उसमें कई जेटेट पास अभ्यर्थियों ने भी अप्लाई कर दिया था। इन्हीं बातों का हवाला देते हुए सीटेट क्वालिफाइड अभ्यर्थी अब फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। अब आने वाले समय में देखना होगा कि इस मामले में आगे और कौन से नये मोड़ सामने आते हैं।