L19/Ranchi : इको सेंसेटिव जोन के दस किलोमीटर के दायरे में झारखंड हाईकोर्ट की ओर से औद्योगिक प्रतिष्ठानों व माइनिंग पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (एनबीडबल्यूएल) की अनुमति के बगैर चल रहे इन गतिविधियों को लेकर चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट अब 15 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई करेगी।
प्रार्थी उमाशंकर सिंह की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में किसी भी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, फॉरेस्ट या नेशनल पार्क के दस किलोमीटर के दायरे में इको सेंसेटिव जोन बनाने का निर्देश दिया है। इस जोन में बिना एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति के माइनिंग और औद्योगिक गतिविधि नहीं की जा सकती। मगर झारखंड में कई इको सेसेंटिव जोन में एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति के बगैर औद्योगिक गतिविधि और खनन कार्य जारी है।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सोनल तिवारी पक्ष रख रही थीं। उन्होंने अदालत को बताया कि हजारीबाग के वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा मुख्य वन संरक्षक को एक पत्र के ज़रिए कहा गया है कि कोडरमा वन्य प्राणी क्षेत्र में 37, हजारीबाग में 31, गौतम बुद्ध वन्य प्राणी क्षेत्र में 1, पारसनाथ और तोपचांची वन्य प्राणी क्षेत्र में 9 औद्योगिक इकाइयां बिना अनुमति के चल रही हैं। इसकी सुनवाई के बाद अदालत ने निर्देश दिया कि इको सेंसेटिव जोन में औद्योगिक गतिविधियों और माइनिंग पर रोक लगायी जाए।