L19/DESK : प्रारंभ से झारखण्ड की राजनीति का केंद्रबिंदु आदिवासी हैं जहाँ शुरू भी इन अदिअवासियों से होती है और ख़त्म भी, वहीँ सड़क से लेकर सदन तक जब भी संघर्ष की बात हो आदिवासी समाज सबसे आगे रहे हैं, चाहे वह नेताओं द्वारा बुलाई गई चुनावी रैली हो या फिर कोई आंदोलन.. भीड़ के मामले में भी सबसे ज्यादा संख्या आदिवासियों की रही है। इसके आलावा जब राजनीतिक महापर्व में सबसे ज्यादा वोट देने की बात हो तो इसमें भी आदिवासी समुदाय आगे रहती है. लेकिन जब बात इनकी मान सम्मान की,हक अधिकार की या फिर सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक समानता की होती है.. तो आज भी आदिवासी समाज विकास के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े मिलते हैं।
सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा महापर्व आने वाला है, जी हाँ बसन्त ऋतू के सपम्प्त होते ही जैसे जैसे मौसम की गर्मी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे झारखण्ड की राजनीति का अखाड़ा भी गर्म होने लगा है। इधर नेतागण से लेकर राजनीतिक दल और आम जनता भी इस महापर्व की तैयारी में लग गए हैं, जहां अब वोट की ध्रुवीकरण के लिए जाति, धर्म,पक्ष विपक्ष के आरोप प्रत्यारोप का कार्ड फेंका जाएगा जिसमें जिसकी जितनी पहुँच होगी, वही इस खेल में बाज़ी मार लेगा.
ऐसा इसलिए कहा जाता है क्यूंकि 2019 के आम चुनाव में झारखण्ड के अदिअव्सियों ने बिना सवाल जवाब किये लोकतंत्र के आदिवासी अरक्षित सीटों पर सर्वाधिक वोट दिए थे. जी हां वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पाएंगे कि जनजातीय बहुल सीटों पर सबसे अधिक मतदान हुआ था. तो आइए लोकतंत्र के इस महापर्व में वर्ष 2019 के चुनाव के आधार पर झारखण्ड की सभी 14 सीटों की क्या स्थिति रही है कौंन कौंन समुदाय वोट देने के मामले में अग्रिणी रही है इसे जानने का प्रयास करते हैं.
झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीट हैं. इनमें से 8 सामान्य वर्ग की सीटें हैं. 1 सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है, जबकि 5 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए रिजर्व हैं..वही वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल वोटरों की बात करें तो झारखंड में दो करोड़ चौबीस लाख चार हजार आठ सौ छप्पन मतदाताओ के पास वोट देने का अधिकार था. इनमें से एक करोड़ सत्रह लाख सैंतीस हज़ार पांच सौ सत्तावन पुरुष मतदाता, एक करोड़ छ लाख सार्षाठ हज़ार उन्हत्तर महिला वहीं 230 थर्ड जेंडर के वोटर थे.
वही बात करें एनआरआई वोटर्स की तो इनकी संख्या 41 थी. इनमें 33 पुरुष और आठ महिलाएं थीं. एनआरआई वोटर्स समेत सामान्य वर्ग यानी जेनरल वोटरों की बात करें तो कुल दो करोड़ तेईस लाख चौसठ हज़ार चार सौ अस्सी मतदाताओं में एक करोड़ सोलह लाख अंथानब्बे हज़ार छ सौ पचपन मतदाता पुरुष वर्ग से एक करोड़ छः लाख पैसठ हज़ार पांच सौ पंचानबे वोटर्स महिला वोटर्स थी वहीं चालीस हजार तीन सौ छहत्तत वोटर्स सर्विस सेक्टर से थे, जिसमें अड़तीस हजार नौ सौ दो पुरुष और चौदह सौ चौहतर महिलाएं थीं.
सामान्य वर्ग की आठ लोकसभा सीटों पर कुल एक करोड़ उनचालिस लाख चौसठ हज़ार आठ सौ उनसठ मतदाता थे, जिसमें तिहतर लाख सतासी हज़ार पैंतीस पुरुष और पैसठ लाख सताथर हज़ार छः सौ छब्बीसमहिला एवं 198 थर्ड जेंडर के वोटर थे. 41 एनआरआई वोटर के साथ-साथ बाइस हज़ार तीन सौ छियासी सर्विस सेक्टर के वोटर थे. 2019 लोकसभा चुनाव में झारखंड से सामान्य वर्ग यानी जेनरल के सैंतालीस लाख ग्यारह हज़ार आठ सौ 77 पुरुष, 44 लाख 13 हज़ार 916 महिला और 36 थर्ड जेंडर वोटर ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. सभी 41 एनआरआई सामान्य वर्ग के थे, लेकिन किसी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया. पोस्टल बैलट से 25 हज़ार 9 सौ 75 लोगों ने वोट डाला. इस तरह सामान्य वर्ग के कुल 91लाख 51हज़ार 8 सौ 4 मतदाताओं यानी 65.53 फीसदी वोटर्स ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इनमें से 90 लाख 49हज़ार 3 सौ 86 मतदाताओं के वोट वैध पाए गए.
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित एकमात्र सीट पर कुल 18 लाख 81 हज़ार 4 सौ 41 वोटर थे. इनमें से 10 लाख 15 हज़ार 9 सौ 8 पुरुष, 86 लाख 55 हज़ार 3 सौ 30 महिला और 4 हज़ार 3 सौ 87 सेवा मतदाता थे. इस लोकसभा सीट पर एक भी थर्ड जेंडर या एनआरआई वोटर नहीं था. कुल 18 लाख 81 हज़ार 4 सौ 41 में से 12 लाख 10 हज़ार 4 सौ 26 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. 63.13 फीसदी वोट पड़े. इस लोकसभा सीट पर 12 लाख 3 हज़ार 9 सौ 39 मतदाताओं के मत वैध थे।
अगर बात अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित लोकसभा सीटों पर हुए मतदान की करेंगे, तो यहां सबसे ज्यादा 70.21 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. एसटी के लिए रिजर्व पांच सीटों पर कुल 65 लाख 58 हज़ार 5 सौ 56 मतदाता थे. इनमें 33 लाख 34 हज़ार 6 सौ 14 पुरुष और 32 लाख 23 हज़ार 9 सौ 10 महिला वोटर थे. थर्ड जेंडर वोटर्स की संख्या 32 थी. कुल 46 लाख 04, हज़ार 5 सौ 51 वोटर्स ने वोटिंग में हिस्सा लिया. 23 लाख 4 हज़ार 3 सौ 32 पुरुष और 22 लाख 87 हज़ार 2 सौ 81 महिला के साथ-साथ तीन थर्ड जेंडर वोटर ने मतदान किया. 12 हजार 9 सौ 35 पोस्टल वोट भी इन लोकसभा क्षेत्रों में पड़े थे. इस श्रेणी की लोकसभा सीटों पर पड़े कुल मत में से 45 लाख 19 हज़ार 2 सौ 68 मत वैध पाए गए.
इस तरह सामान्य वर्ग की आठ लोकसभा सीटों पर 65.53 फीसदी, एससी के लिए आरक्षित एकमात्र सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में 63.3 फीसदी वोट हुए, तो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पांच लोकसभा सीटों पर 70.21 फीसदी मतदान हुआ. सामान्य क्षेत्र के मतदाताओं के वोट ज्यादा रद्द हुए. सामान्य सीटों पर हुए मतदान में से 2, हज़ार 4 सौ 74 मतदाताओं के वोट/पोस्टल वोट रद्द हो गए, जबकि एससी सीट पर 679 और एसटी सीट पर मतदान करने वाले सिर्फ 1, हज़ार 6 सौ 70 मतदाताओं के मत/पोस्टल मत रद्द हुए.