L19 DESK : झारखंड विधानसभा चुनाव में दमदार जीत हासिल करने के बाद अब सीएम हेमंत सोरेन का मनोबल और बढ़ गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा अब बिहार पॉलिटिक्स में हाथ आज़माने की तैयारी में है. झारखंड में जेएमएम ने पहली बार 34 सीटों पर जीत दर्ज कर ली, अब हेमंत सोरेन चाहते हैं कि बिहार की राजनीति में भी हिस्सा लें, और वहां भी तीर कमान चलायें. दरअसल, मीडिया में लगातार ये खबरें आ रही हैं कि जेएमएम पड़ोसी राज्य बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने वाली है.
नये साल में अब सीएम हेमंत सोरेन भी नयी पारी खेलने की तैयारी में है. झारखंड में हाल में ही विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ है, जहां 56 सीटों पर प्रचंड बहुमत के साथ हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन सरकार की दोबारा से सत्ता में वापसी हुई है. अब साल 2025 में बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है. इसे लेकर अभी से ही राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा भी छलांग लगाने वाली है. जेएमएम आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने कैंडिडेट्स उतार सकती है. पार्टी सूत्रों की मानें तो झारखंड की सीमा से लगने वाली बिहार की 12 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर जेएमएम चुनाव लड़ने के लिये गठबंधन में अपनी दावेदारी पेश करेगी. इनमें तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रुपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई विधानसभा सीट शामिल है.
झामुमो का मानना है कि झारखंड और बिहार के बॉर्डर इलाकों में पार्टी का जनाधार मजबूत है, इसलिये इन सीटों पर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने को लेकर दावा ठोका जा रहा है. झामुमो का तर्क है कि इन क्षेत्रों में पार्टी के कार्यकर्ता सक्रिय हैं. पहले भी जेएमएम ने बिहार में अपने विधायक दिये हैं. झामुमो के नेताओं ने कहा है कि इन सीटों पर पार्टी के पास न केवल मजबूत कार्यकर्ता हैं, बल्कि चुनाव लड़ने के लिए उपयुक्त उम्मीदवार भी तैयार हैं.
एक बड़ा कारण झारखंड में क्षेत्रीय पार्टी होने के बावजूद देशभर में झारखंड मुक्ति मोर्चा की बढ़ती लोकप्रियता को भी माना जा रहा है. दरअसल, जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का प्रभाव बड़ा है. तानाशाही तत्वों के खिलाफ लड़ कर जिस प्रकार हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बड़ी जीत मिली है. स्वाभाविक तौर पर पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हो रही है. उन्होंने कहा कि हमारे चाहने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. बड़ी संख्या में लोग हमारी पार्टी से जुड़ रहे हैं, चाहे पश्चिम बंगाल हो, उड़ीसा हो ,छत्तीसगढ़ या फिर बिहार.”
आपको बता दें कि साल वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान झामुमो ने ‘एकला चौलो रे’ की नीति अपनायी थी. जेएमएम ने अकेले ही चुनाव लड़ा था, और अपने कैंडिडेट्स उतारे थे. हालांकि, एक भी प्रत्याशियों को जीत हासिल नहीं हुई, और जेएमएम पूरी तरह असफल रही लेकिन इस बार पार्टी नये सिरे से तैयारियों में जुट गयी है.
बहरहाल, अब बिहार विधानसभा चुनाव के लिये जल्द ही सीटों का बंटवारा हो जायेगा. इससे पहले गठबंधन के घटक दलों की बैठक होगी. बिहार में इंडिया गठबंधन में राजद कांग्रेस के साथ झामुमो को शामिल करने की भी चर्चा होगी, इस दौरान जेएमएम 12 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश करेगी.
जिस तरह इस बार झारखंड के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत कांग्रेस और राजद की सीटों की डिमांड पूरी की गयी थी, वैसे ही बिहार इलेक्शन्स में भी झामुमो को तरजीह दी जायेगी. यानि एक बार फिर से जेएमएम कांग्रेस और RJD एक साथ चुनाव लड़ते दिखायी दे सकते हैं.
खैर, अब झामुमो की दावेदारी और रणनीति से साफ है कि वह इस बार बिहार के चुनावी परिदृश्य में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी में है. पार्टी को महागठबंधन से काफी उम्मीदें हैं और यदि सीट बंटवारे पर सहमति बनती है, तो यह चुनावी समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है. अब देखना होगा कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जेएमएम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ती है.