L19/DESK : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू को राज्य पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष बनाना चाहते थे। कैबिनेट में इससे संबंधित प्रस्ताव भी पिछले दिनों लाया गया। पर कैबिनेट की बैठक में ही नौ मंत्रियों ने सुदिव्य कुमार सोनू के नाम पर गंभीर आपत्ति कर दी। इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुदिव्य को आयोग का अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव को स्थगित करने का आदेश देना पड़ा। इसकी वजह से झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष पद फिर खाली रह गया। स्थानीय निकायों के चुनाव में पिछड़ा वर्ग की भागीदारी को लेकर ट्रिपल टेस्ट राज्य पिछड़ा आयोग ही करेगा।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में छह सितंबर कैबिनेट की बैठक हपई थी। बैठक में कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने झामुमो विधायक सुदिव्य को झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे कैबिनेट में रखने के लिए पहले मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और सीएम हेमंत सोरेन ने भी सहमति दी थी। कैबिनेट में प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई तो मुख्य सचिव ने इसे नियम विरुद्ध बताते हुए स्वीकृति नहीं देने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का पद लाभ का पद है। लाभ के पद मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और सपा नेता जया बच्चन की सदस्यता जा चुकी है। बताया गया कि यूपीए शासन काल में वर्ष 2006 में सोनिया गांधी के खिलाफ लाभ के पद का मामला आया था। उस समय सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद थीं। इसके अलावा वह यूपीए सरकार के समय राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की चेयरमैन भी थीं, जिसे लाभ का पद करार दिया गया था। इस वजह से सोनिया को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा और दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था। वर्ष 2006 में अभिनेत्री जया बच्चन पर भी लाभ के पद पर रहने का मामला उठा।
वह राज्यसभा सांसद के साथ साथ उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम की चेयरमैन बनाई गई थीं। इसे भी चुनाव आयोग ने लाभ का पद करार दिया और उन्हें अयोग्य करार दिया। जया बच्चन सुप्रीम कोर्ट भी गईं, लेकिन राहत नहीं मिली। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अगर कोई सांसद या विधायक ने लाभ का पद लिया है, तो उसकी सदस्यता निरस्त हो जाएगी चाहे उसने वेतन या दूसरे भत्ते लिए हों या नहीं।
इसलिए अध्यक्ष जरूरी
झारखंड सरकार ने नगर निकायों का चुनाव कराने से पहले ट्रिपल टेस्ट कराने का फैसला किया है। ट्रिपल टेस्ट कराने की जिम्मेवारी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को दिया है। लेकिन दिलचस्प यह है कि आयोग में न तो अध्यक्ष हैं और न सदस्य। इस कारण न तो ट्रिपल टेस्ट हो रहा है और ना ही नगर निकायों के चुनाव।