Ranchi : विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता और मार्गदर्शक दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। फेसबुक पोस्ट के माध्यम से उन्होंने कहा कि भले ही उनके बाबा अब सशरीर साथ नहीं हैं, लेकिन उनका संघर्ष, विचार और आदर्श हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने लिखा, “बाबा न केवल मेरे पिता थे, बल्कि समस्त आदिवासी समाज समेत झारखंड की आत्मा, संघर्ष के प्रतीक और जल-जंगल-जमीन के सबसे मुखर रक्षक भी थे।”
आदिवासी समाज का जीवन-दर्शन प्रकृति से जुड़ा
सीएम ने कहा कि आदिवासी समाज ने मानवजाति को प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर खुशहाल जीवन जीने का मार्ग दिखाया है। उनका जीवन-दर्शन प्रकृति से शुरू होकर प्रकृति पर ही समाप्त होता है। बावजूद इसके, सदियों से आदिवासी और शोषित-वंचित समाज हाशिये पर खड़ा रहने को मजबूर रहा। उन्होंने बताया कि उनके बाबा ने इसी स्थिति को बदलने के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया।
सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है यह दिवस
मुख्यमंत्री ने लिखा कि विश्व आदिवासी दिवस राज्य भर में आयोजित होने वाला उनका प्रिय कार्यक्रम रहा है, क्योंकि यह अवसर आदिवासी समाज की समृद्ध सभ्यता और संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने तथा उनकी प्रतिभा को वैश्विक मंच देने का माध्यम बनता है।
वीर पुरखों को नमन
इस अवसर पर उन्होंने दिशोम गुरु समेत सभी वीर पुरखों को नमन करते हुए कहा, “मैं संकल्प लेता हूं कि उनके दिखाए मार्ग पर चलकर झारखंड और देश में आदिवासी अस्मिता की मशाल को और ऊंचा करूंगा। झारखंड के वीर अमर रहें, देश के समस्त वीर आदिवासी योद्धा अमर रहें। जय जोहार, जय आदिवासियत, जय झारखंड!”