L19 DESK : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने सिदो-कान्हू मुर्मू जयंती के शुभ अवसर पर सिदो-कान्हू मुर्मू पार्क भोगनाडीह, बरहेट में अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं वीरांगना फूलो-झानो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. आपको बता दें कि सिदो-कान्हू की जयंती समारोह छठीहार महा के रूप में मनाया जाता है. आज का दिन 1855 के उस संघर्ष की याद दिलाता है, जब अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाले सिदो का जन्म हुआ था. हर साल 11 अप्रैल को यह धरती उनकी जयंती के उत्सव में सराबोर हो जाती है. आज वहां रातभर पूजा-अर्चना की जाएगी. देश विदेश से लोग आज के दिन यहां पहुंचते हैं और उन्हें नमन करते हैं.
दरअसल, आज से करीब 170 साल पहले 30 जून, 1855 को हजारों आदिवासियों ने विद्रोह का बिगुल फूंका था. इसी के साथ ब्रिटिश शासन की नींव हिल गई थी. भारतीय इतिहास की ज्यादातर पुस्तकों में आजादी की पहली लड़ाई के तौर पर 1857 के संग्राम का जिक्र किया गया है, लेकिन शोधकर्ताओं और जनजातीय इतिहास के विद्वानों के एक बड़े समूह का कहना है कि 30 जून, 1855 को झारखंड के भोगनाडीह से शुरू हुआ ‘हूल’ ही देश का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था. संथाल आदिवासियों और स्थानीय लोगों के इस विद्रोह के नायक सिदो-कान्हू थे, जिन्हें हुकूमत ने मौत के घाट उतार दिया था। इनके दो अन्य भाइयों चांद-भैरव और दो बहनों फूलो-झानो ने भी इस क्रांति के दौरान शहादत दे दी थी. जनजातीय इतिहास पर शोध करने वालों के मुताबिक एक साल तक चली आजादी की इस लड़ाई में दस हजार से ज्यादा संथाल आदिवासी और स्थानीय लोग शहीद हुए थे.