L19 DESK : जहाँ कुछ दिनों पहले झारखंड ने पूरे देश में एक नया कृतिमान बनाया , आज भी उस राज्य में कुप्रथाएँ थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं ,यहां लोकतंत्र राज्य होने के बाद भी हर दिन हमें महिलाओं के प्रति क्रूर कुप्रथा से जुड़ी खबरे देखने को मिलती रहती हैं । इसी कुप्रथा में शिकार हुई छुटनी महतो ने झारखंड में हो रहे डायन बता अपराध करने वालों के खिलाफ जंग लड़ रही है,साथ इस कुप्रथा से जीतने भी लोग पुरुष हो या महिला प्रताड़ित हुए हैं उनके लिए पुनर्वास ,जीविका के साधन उपलब्ध करा रहीं हैं।
डायन प्रथा एक प्रकार का अंधविश्वास है जिसमे लोग अपने आस-पास में जीतनी भी बुरी घटना घटती है ,उस घटना का आरोपी किसी एक इंसान को बना दिया जाता है , जब भी पुनः गाँव में कुछ घटना घटती हो तो फिर उसी इंसान पर आरोप लगाए जाते हैं। कुछ इसी तरह की घटना छुटनी महतो के साथ सितंबर 1995 में घटित हुई । जब वो महज 12 वर्ष की थी तब उनका बाल ब्यहा महताडीह गाँव के धनंजय महतो से हुआ था ।
शादी के कुछ दिनों के बाद ही बगल क घर में एक पड़ोसी की बेटी बीमार हो गई ,लोगों ने शक जताया की यह छुटनी के वजह से हुआ है, फिर लोगों ने उनसे मार पीट की, पंचायत बुला 500 का जुर्माना भी भरवाया । फिर भी हर बार उस आरोप लगाए गए वह फिर अपने मायके में रहने लगी और अबतक इस जंग को लड़ रही है । अबतक वह इस प्रथा में शिकार हुए सैकड़ों लोगों मुक्त करा चुकी है और रोजगार ,स्वय सहायता समूहों से जोड़ चुकी है । उनका लक्षय है झारखंड 2068 गाँव तक पहुच कर इन घटनाओ को जड़ से खत्म करना ।