L19/DESK : पिछले डेढ़ माह से झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) की तरफ से शराब के खुदरा दुकानों का संचालन किया जा रहा है। राज्य भर में इन दिनों शराब की ओवर प्राइसिंग का मामला गरमाया हुआ है। औसतन महीने में राज्य भर में पांच करोड़ से अधिक की कमायी सिर्फ ओवर प्राइसिंग के नाम पर हो रही है। झारखंड राज्य शराब विक्रेता संघ के महासचिव सुबोध जायसवाल का कहना है कि सभी रीटेल दुकानों में पांच प्रतिशत अधिक कीमतें ग्राहकों से ली जा रही है. न्यूनतम 10 रुपये और अधिकतम 40 रुपये मिनिमम रिटेल प्राइस से अधिक लिये जा रहे हैं। विदेशी ब्रांडों में क्वार्टर, हाफ और फूल बॉटल की कीमतों में 10 रुपये, 20 रुपये और 40 रुपये तक लिये जा रहे हैं। बताते चलें कि पहले प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिये अधिक कीमतें वसूलने का आरोप लगता था। अब सरकार का ही महकमा दुकानों को संचालित कर रहा है। राज्य के जोन -6 यानी पलामू, गढ़वा और लातेहार को छोड़ कर अन्य जिलों में जेएसबीसीएल की ओर से ही शराब दुकानों का संचालन किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार बीयर के प्रचलित ब्रांडों में चिल्ड बीयर के नाम पर 20 से 30 रुपये अधिक लिये जा रहे हैं। पलामू में पिछले दिनों सदर एसडीपीओ ऋषभ गर्ग ने दुकानों में औचक निरीक्षण किया गया था। पर फिर से ओवर प्राइसिंग शुरू हो गयी!
विभागीय अफसरों तक पहुंच रहा है 2.5 फीसदी
जानकारी के अनुसार ओवर प्राइसिंग में से 2.5 फीसदी हिस्सा उत्पाद विभाग के संबंधित अधिकारियों तक सीधे पहुंच रहा है। इसमें उत्पाद अधीक्षक, उत्पाद सिपाही, उत्पाद विभाग के अन्य वरीय अधिकारी भी शामिल हैं। जिलों के प्रभार में रहनेवाले उत्पाद विभाग के अधिकारियों की शह पर ही ओवर प्राइसिंग पर लगाम नहीं लग रही है। हालांकि विभाग में उत्पाद आयुक्त, उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त, उत्पाद विभाग के उपायुक्त स्तर के अधिकारियों की मिलनेवाली शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने का नियम बनाया गया है। पर कार्रवाई करने के बहाने मामले को रफा-दफा करने में विभागीय कर्मी अधिक तवज्जो देते हैं। इसके अलावा विभाग की तरफ से प्लेसमेंट एजेंसियों को भी इस हिस्से में से ढाई प्रतिशत की हिस्सेदारी को गुपचुप तरीके से स्वीकार किया जा रहा है। इन तमाम बिंदुओं पर झारखंड राज्य शराब विक्रेता संघ और अन्य संगठनों के लोग उत्पाद विभाग के वरीय अधिकारियों को सबूत पहुंचाने में लगे हुए हैं!