L19/DESK : कल भारत मे अजीबों गरीबोंवाक्य देखने को मिला जब नाटकीयता से भरे दिन में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवान मंगलवार को गंगा नदी में अपने ओलिंपिक और विश्व पदक विसर्जित करने सैकड़ों समर्थकों के साथ हरिद्वार पहुंचे, लेकिन खाप और किसान नेताओं के मनाने पर ऐसा नहीं किया। इस संबंध मे कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण की गिरफ्तारी सहित अपनी मांगे मानने के लिए पहलवानों ने पांच दिन का समय दिया है।
दिल्ली के जंतर मंतर मे प्रदर्शन कर रहे पहलवान जैसे ही अपने विश्व और ओलिंपिक पदक गंगा नदी में बहाने को तैयार हुए वैसे ही ‘हर की पौड़ी’ पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी। साक्षी, विनेश और उनकी चचेरी बहन संगीता सुबकती दिखायी दीं और उनके पति उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे साथ ही उनके समर्थक चारों ओर घेरा बनाया हुआ था। पहलवान हर की पौड़ी पहुंचकर करीब 20 मिनट तक चुपचाप खड़े रहे,फिर वे गंगा नदी के किनारे अपने पदक हाथ में लेकर बैठ गये। बजरंग 40 मिनट बाद वहां पहुंचे। साक्षी के हाथ में रियो ओलिंपिक का कांस्य पदक था,जिसे वह गंगा नदी मे फेंकने के लिए आयी थीं।
इस पूरे मामले ने 1960 की एक घटना की यादें ताजा कर दी जब महान मुक्केबाज मुहम्मद अली ने अमेरिका में नस्लीय पक्षपात के खिलाफ अपना ओलिंपिक स्वर्ण पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था। मणिपुर के अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों ने कहा कि यदि राज्य की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किया जाता है, तो वे भी सरकार द्वारा दिये गये पुरस्कार लौटा देंगे।एल अनीता चानू (ध्यानचंद पुरस्कार विजेता), अर्जुन पुरस्कार विजेता एन कुंजारानी देवी (पद्म श्री), एल सरिता देवी और डब्ल्यू संध्यारानी देवी (पद्म श्री पुरस्कार विजेता) और एस मीराबाई चानू (पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता) उन 11 खिलाड़ियों में शामिल हैं। अनिता चानू ने कहा कि हमें मणिपुर की अखंडता की रक्षा का आश्वासन चाहिए।