L19 DESK : तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने झारखंडियों को आक्रामक कुत्ता कहा है। ये आरोप झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स के माध्यम से लगाये हैं। 26 नवंबर को उन्होंने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा है कि “तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने साढ़े तीन करोड़ झारखंड वासियों के लिए कुत्ता जैसा अपमानजनक शब्द कह के ‘झारखंडी अस्मिता’ को ठेस पहुंचाया है। चुकी महुआ मोइत्रा और हेमंत सोरेन दोनों INDI ठगबंधन के प्रमुख सदस्य हैं, इसलिए हमारी मांग है कि हेमंत सोरेन उक्त अपमानजनक वक्तव्य पर अपनी राय स्पष्ट करें और सार्वजनिक रूप से झारखंड की जनता से माफी मांगे। भारतीय जनता पार्टी झारखंडी अस्मिता के उपर किए गए इस कुठाराघात को नहीं सहेगी…”
क्या कहा था महुआ मोइत्रा ने ?
पहले तो ये समझते हैं कि आखिर महुआ मोइत्रा ने ऐसा क्या ट्वीट किया जिससे झारखंड में सियासी गहमागहमी शुरु हो गयी है। दरअसल, 25 नवंबर को महुआ मोइत्रा ने एक्स पर अंग्रेजी में पोस्ट करते हुए लिखा,
“Amused to see how headless LokPal with no full time Chairman “referred” my case to CBI. RTI of 3/11/23 says LokPal has no Chairman since May 2022 & 3 of 8 member posts also vacant! Maybe Jharkhand Branch of Pitbull Association also moonlighting as Lokpal Committee under BJP.”
इसका हिंदी में अगर अनुवाद किया जाये तो ये कुछ इस तरह होगा।
“यह देखकर आश्चर्य हुआ कि बिना किसी पूर्णकालिक अध्यक्ष के नेतृत्वहीन में लोकपाल ने मेरे मामले को सीबीआई को कैसे “रेफर” कर दिया। 3/11/23 की आरटीआई कहती है कि मई 2022 से लोकपाल का कोई अध्यक्ष नहीं है और 8 में से 3 सदस्यों के पद भी खाली हैं! हो सकता है कि पिटबुल एसोसिएशन की झारखंड शाखा भी भाजपा के अधीन लोकपाल समिति के रूप में काम कर रही हो।”
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, बीते कुछ समय से गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और तृणमूल कांग्रेस से सांसद महुआ मोइत्रा के बीच खींचतान जारी है। मामला कैश फॉर क्वेरी का है। निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाए थे कि महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और तोहफे लिए थे।
इसके बाद निशिकांत ने 21 अक्टूबर को महुआ पर एक और गंभीर आरोप लगाया। निशिकांत दुबे ने लोकपाल से शिकायत की थी। मोइत्रा पर संसद की आईडी और पासवर्ड बिजनेसमैन हीरानंदानी को देने का आरोप लगा था। इसके बाद जांच के लिए एथिक्स कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने 10 नवंबर को अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को भेजकर मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म करने की बात कही थी। इसके बाद खबर आयी कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ शनिवार से प्रारंभिक जांच शुरु कर दी है। ये जांच लोकपाल के निर्देश के बाद शुरु की गयी है। एजेंसी इस जांच के आधार पर तय करेगी कि मोइत्रा के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया जाये या नहीं।
क्या होता है पिटबुल ?
अपने पोस्ट में उन्होंने पिटबुल शब्द का उपयोग किया है। यहां अमेरिका के रैपर पिटबुल की बात नहीं हो रही है। बल्कि पिटबुल जो एक कुत्ते का प्रजाति है, उसकी बात हो रही है। पिटबुल्स को उनके मजबूत शरीर औऱ मजबूत जबड़े के लिये इस्तेमाल किया जाता है। वह स्वाभाविक तौर पर आक्रामक होते हैं, जिसके वजह से उन्हें लड़ाकू कुत्तों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, ये बहुत खतरनाक होते हैं, जिसके वजह से दुनिया के करीब 41 देशों में इस कुत्ते को पालने पर बैन है।
क्या सच में महुआ ने झारखंडियों को कुत्ता कहा ?
अब क्या वाकई में महुआ मोइत्रा ने साढ़े तीन करोड़ झारखंडियों के लिये पिटबुल कुत्ते शब्द का इस्तेमाल किया है? उनके पोस्ट को ही पढ़कर समझने की कोशिश करते हैं। उन्होंने सबसे पहले हैरानी जताते हुए कहा है कि ये देखकर आश्चर्य हुआ कि बिना किसी पूर्णकालिक यानि फुलटाइम लोकपाल अध्यक्ष के नेतृत्वहीन में लोकपाल ने मेरे मामले को सीबीआई को कैसे “रेफर” कर दिया। जबकि आपको बता दें कि मई 2022 से लोकपाल के कोई अध्यक्ष नहीं हैं।
और तो और लोकपाल में 8 में से केवल 5 सदस्यों के पद ही भरे हुए हैं, बाकि 3 पोस्ट खाली हैं। ये बात उन्होंने अपने पोस्ट में खुद बतायी है। उन्होंने बकायदा आरटीआई की कॉपी भी अपने पोस्ट में अटैच की है। ऐसे में ये मामला लोकपाल ने सीबीआई को कैसे सौंप दिया। ये देखकर वह हैरान हैं। इसके बाद उन्होंने कहा है कि हो सकता है कि पिटबुल एसोसिएशन की झारखंड शाखा भी भाजपा के अधीन लोकपाल समिति के रूप में काम कर रही हो। यहां पिटबुल एसोसियेशन को पढ़कर ये समझ आता है कि उन्होंने इसे झारखंड में कार्यरत भ्रष्टाचार का भांडाफोड़ करने वाले एजेंसियों के बारे में ऐसा कहा है। यानि ये झारखंडियों के लिये तो सुनाई नहीं दे रहा, बल्कि झारखंड में काम कर रहे एजेंसियों के लिये ही लग रहा है।
साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि ये एसोसियेशन भाजपा के अधीन लोकपाल समिति के रुप में काम कर रही है, ऐसा लगता है। गौरतलब है, बीते कुछ समय से देशभर में ईडी, सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का खौफ बढ़ गया है। इसे लेकर केंद्रीय एजेंसियों पर अकसर ये आरोप लगाये जाते हैं कि वह केंद्र में सत्तारुढ़ भाजपा के इशारे पर काम कर रही है। जब जब किसी नेता मंत्री के यहां छापा पड़ता है, वे इस बात को बोलने से पीछे नहीं हटते। महुआ मोइत्रा ने भी इस बात को कहा है। हालांकि, उनके पोस्ट पर बवाल मचने के बाद उन्होंने अब तक इस पर कोई स्पष्टीकरण तो नहीं दिया है।
बल्कि बाबूलाल मरांडी के पोस्ट के नीचे एक ‘I am ranjimi’ यूजरनेम वाले एक शख्स ने कमेंट किया है कि “दुबे जी पूरे झारखंडी के अस्मिता हो गये। मतलब कोई मोदी की बुराई करे तो उसे आप लोग देश से जोड़ देते हैं, कोई किसी बीजेपी विधायक की बुराई करे तो आप उसे उसके क्षेत्र के लोगों से जोड़ देते हैं। उधर कोई स्मृति से सवाल पूछे तो उनके क्षेत्र के लोगों का अपमान हो जाता है। गजब है।”
इन कमेंट से यही लगता है कि कुछ लोगों को पिटबुल शब्द का प्रयोग निशिकांत दुबे के लिये किया जाना समझ आ रहा है। मगर अब तक महुआ मोइत्रा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है।