रांची/लंदन : ब्रिटेन की प्रतिष्ठित University of Sussex के Centre For World Environmental History के निमंत्रण पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और झारखंड में जल-जंगल-जमीन के संघर्ष में इसकी भूमिका पर विशेष व्याख्यान दिया गया। व्याख्यान का प्रमुख फोकस झामुमो के संस्थापक और दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी, सामाजिक नेतृत्व और अलग राज्य आंदोलन में उनके योगदान पर रहा।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता कुणाल सारंगी ने अपने फेसबुक पोस्ट में जानकारी साझा की कि उन्हें University of Sussex (ब्रिटेन) के Centre For World Environmental History में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया। विषय था – झामुमो की भूमिका और दिशोम गुरु शिबू सोरेन का सामाजिक-राजनीतिक योगदान।
उन्होंने लिखा कि 150 वर्षों का झारखंडी आंदोलन और अलग राज्य की लड़ाई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कम चर्चा में रहती है, जबकि महाजनी प्रथा के खिलाफ निर्णायक संघर्ष छेड़कर जल-जंगल-जमीन की आवाज बुलंद करने वाले शिबू सोरेन को विश्व स्तर पर मान्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा के बाद आदिवासी अधिकार, झारखंड राज्य आंदोलन और उसके बाद जन-हित की लड़ाई में शिबू सोरेन सबसे बड़ी पहचान रहे हैं।
कुणाल सारंगी ने यह भी बताया कि 1967 के अकाल से प्रेरित होकर शिबू सोरेन ने किसानों, आदिवासियों और मूलवासियों को शिक्षा, कृषि, स्वरोजगार और जमीन के हक के लिए संगठित किया। इसे अंतरराष्ट्रीय शोध का विषय होना चाहिए।

अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि व्याख्यान के दौरान मारांग गोमके छात्रवृत्ति योजना के तहत ससेक्स में पढ़ रही झारखंड की छात्राएं त्रिनिशा (रांची) और उषा (खूँटी) से मुलाकात हुई। दोनों छात्राओं ने इस अवसर के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आभार व्यक्त किया।
University of Sussex ने झारखंड के शैक्षणिक संस्थानों के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम और संयुक्त साझेदारी की इच्छा जताई है। इसके लिए जनवरी में प्रतिनिधि दल रांची आकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा।
पोस्ट के अंत में कुणाल सारंगी ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन को नमन करते हुए “जय झारखंड” लिखा।
