L19 DESK : अयोध्या रामलला की जन्मस्थली मानी जाती है। यहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम की प्रतिमा के लिए लिए भव्य मंदिर बनवाया जा रहा है। इसका शुभारंभ अगले वर्ष 22 से 24 जनवरी को किया जायेगा। वहीं दूसरी तरफ रीयल लाइफ में लोगों के लिए भगवान साबित होने वाले के लिए एक अदद घर भी नहीं है। बात हो रही है गोताखोर भगवानदीन निषाद की। उनके पास लाइफ जैकेट नहीं है। कोई बीमा नहीं है। रहने के लिए घर भी नहीं है। लेकिन उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं है।
हर दिन वह कोई न कोई, किसी न किसी डूबते हुए को बचाने के लिए 20 से 30 फीट गहरे पानी में कूद जाते हैं। कोई अपने से डूब रहा हो, या आत्महत्या की नीयत से सरयू में छलांग लगाए, भगवानदीन के सामने वह मर नहीं सकता। पानी की धारा चाहे जितनी भी खतरनाक हो, भगवानदीन उसे मौत के मुंह से निकाल ही लाते हैं। अब तक वह 345 लोगों को सरयू की धारा में डूब कर मरने से बचा चुके हैं। 1700 से ज्यादा लाशों को निकाल चुके हैं। हर थाना में भगवानदीन का नंबर रजिस्टर में लिखा हुआ है। जब जहां जरूरत पड़ती है, उसे बुला लिया जाता है। किसी की जिंदगी का सवाल होता है, इसलिए भगवानदीन भी कभी आलस्य नहीं करते। यथाशीघ्र पहुंचने का प्रयास करते हैं। जाति से निषाद हैं, सो उनका ज्यादा समय नदी में या उसके किनारे ही बीतता है।
एक घटना का जिक्र आवश्यक है। अभी पिछले माह वह और उनके भाई प्रदीप सरयू नदी के किनारे नाव की मरम्मत कर रहे थे। नदी के दूसरे छोरर पर कुछ लोग नहा रहे थे। एक लड़का नहाते समय नदी की बीच धारा में चलाा गया। बहाव तेज होने के कारण वह डूबने लगा। घाट पर लोग चिल्लाने लगे। भगवान दीन बिना कोई देर किए सरयू में कूद गए और तेजी से तैरते हुए डूब रहे बच्चे के पास पहुंच गए। तब तक उनके भाई प्रदीप भी नाव लेकर वहां पहुंच गए थे। उस बच्चे के सिर के बाल को पकड़ कर डूबने से बचाया। फिर नाव से किनारे ले आए। उसकी मांं ने भगवानदीन को भगवान मान लिया।
बरसात हो, गर्मी या कड़ाके की ठंड। भगवानदीन का मोबाइल फोन 24 घंटे ऑन रहता है। पता नहीं कब जरूरत पड़ जाए। वैसे पूरे दिन वह नदी के किनारे ही रहते हैं। वह वर्ष 2003 से ही लोगों की जान बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसीलिए पुलिस ने उनको सरकारी गोताखोर का पहचान पत्र दिया है, लेकिन इसके एवज में कोई सैलरी नहीं मिलती। एक बार की बात है। 2021 में भगवानदीन की मां का ब्रेन हैमरेज हो गया था। वह उनकी देख-रेख में लगे थे। अस्पताल में भर्ती कराने के लिए काउंटर पर पर्ची बनवा रहे थे, उसी समय थाना से फोन आ गया कि दो बच्चे नदी में कूद गए हैं। मां को भाई और बहनों के सहारे छोड़कर तुरंत नदी की ओर भागा। समय ज्यादा हो जाने से एक बच्चे को ही बचा सका। दूसरे की मौत हो चुकी थी।
दो दिन इलाज के बाद मां की मौत हो गई। भगवानदीन ने जिन लोगों की जान बचाई है, वह उनको आज भी उन्हें फोन करते हैं। भगवानदीन का सपना है कि उनकी छोटी बहन नीलम क्रिकेटर बने। नीलम नेशनल स्तर पर क्रिकेट खेलती है। आगामी दिसंबर में श्रीलंका में होने वाली क्रिकेट प्रतियोगिता की तैयारी कर रही है। उसे श्रीलंका जाने के लिए पैसे के इंतजाम में लगे हैं।