
L19/DESK : आदिवासी युवा समाजसेवी और भाकपा नेता सुभाष मुंडा हत्याकांड की जांच में रांची पुलिस की एसआइटी जुटी है,इस बीच पलिस सूत्रों की जांच में यह बात सामने आयी है कि हत्या के थोड़ी देर पहले किसी अनजान व्यक्ति ने सुभाष मुंडा को फोन कर पूछा था कि ऑफिस में हो? तब सुभाष मुंडा ने कहा था, हां। इसके कुछ देर बाद ही एक गाड़ी से पांच लोग दलादली चौक के समीप स्थित उनके मार्केट कांप्लेक्स के पास पहुंचे। सुभाष मुंडा के ऑफिस के बगल में स्थित उनके कांप्लेक्स से सटा एक रास्ता पीछे की ओर जाता है, अंदर जाने पर उनके ऑफिस के पहले लोहे का गेट है,चार अपराधी हेलमेट पहने मूंह पर मास्क लगाये हुए उस गेट से अंदर गये। एक अपराधी गेट पर ही खड़ा रहा, वहीं तीन अपराधी ऑफिस के पहले कमरे में वेटिंग रूम में गये, वहां पर एक अपराधी रुक गया. वहीं दो अपराधी ऑफिस के अंदर गये।कुछ देर तक दोनों अपराधी व सुभाष मुंडा के बीच किसी तीन एकड़ जमीन को लेकर चर्चा हुई, इसी दौरान अचानक बिजली चली गयी। तभी सामने बैठे अपराधियों ने पिस्टल से सुभाष मुंडा पर अन्धाधुन गोलियां चलाई जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।पास में उपस्थित लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही अपराधी अँधेरा का फायदा उठाते हुए वहां से भाग निकले।
इधर पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है और घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी में अपराधियों की धुंधली तस्वीर नजर आ रही है। अपराधी चेहरा ढंके हुए थे, इससे उनकी पहचान नहीं हो पा रही है, मौके से पुलिस ने आठ खोखा बरामद किया है,जबकि एक गोली भी मिली है।वही ऑफिस के टेबल पर जमीन का एक नक्शा भी था, जिसे घटना से पहले सुभाष मुंडा देख रहे थे।पुलिस इस बात से अंदाजा लगा रही है कि कहीं जमीन से जुड़े मामले में सुभाष मुंडा की हत्या तो नहीं कर दी गयी है ? जमीन विवाद में हत्या के मिल रहे हैं संकेतमाकपा नेता सुभाष मुंडा हत्याकांड की पुरी गुत्थी सुलझाने में रांची पुलिस की एसआइटी को सहयोग करने के लिए सीआइडी और एटीएस को लगाया गया है। गुरुवार को टीम ने घटनास्थल और आसपास में रहने वाले वैसे पूर्व अपराधियों का सत्यापन किया, जो जमानत पर बाहर हैं।
इधर, जांच में जुटी एसआइटी को पता चला है कि हत्याकांड के पीछे की मूल वजह जमीन विवाद है। सुभाष मुंडा का कुछ लोगों के साथ दलादली की चाय बगान स्थित 13 एकड़ जमीन को लेकर पुराना विवाद चल रहा था।एसआइटी हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए घटनास्थल का कॉल डंप भी हासिल करने का प्रयास रही है, वहीं कमल भूषण हत्याकांड में फरार चल रहे और पीएलएफआइ संगठन से संपर्क करने वाले छोटू कुजूर की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
