L19 DESK : पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के बांकी शोल पंचायत में बाहदा गांव निवासी भक्तू मुर्मू के 70 वर्षीय पिता बासेत उर्फ बारसा मुर्मू अपने बेटे के बाहर आने की खबर तक नहीं सुन सके और उनकी जान चली गयी । मंगलवार को सदमे में उनका निधन हो गया। ग्रामीणों के अनुसार सुबह नाश्ता करने के बाद बास्ते मुर्मू अपने दामाद ठाकरा हांसदा के साथ आंगन में खाट पर बैठे थे। अचानक वह खाट से नीचे गिरे और वही उनकी मौत हो गयी। उनके तीन बेटे हैं और तीनों ही निधन के वक्त उसके पास नहीं थे। भक्तू मुर्मू का बड़ा भाई रामराय मुर्मू भी कमाने के लिए चेन्नई में है।
दूसरा भाई मंगल मुर्मू दूसरे गांव में मजदूरी करने गया था। अनिल बेदिया की मां ने कहा कि मुझे खुशी है कि बेटा बाहर निकल गया है लेकिन मैं उसे जबतक अपनी आंखों से नहीं देख लेती। तब तक मेरे मन को तसल्ली नहीं मिलेगी। राजेद्र बेदिया के पिता श्रवण बेदिया ने कहा, जब से फंसे थे लोग कह रहे थे बस कुछ दिन और बस पहुंच गये। हमारे लिए सब्र का बांध टूटने लगा था लेकिन जैसे ही पता चला कि बेटा बाहर निकल गया है हमने राहत की सांस ली है। अब बस वो जल्द से जल्द हमारे पास लौट आये। अब हम उसे कहीं बाहर कमाने नहीं जाने देंगे। मजदूरों के सुरंग से सुरक्षित बाहर निकलते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर ट्वीट किया, हमारे 41 वीर श्रमिक उत्तराखण्ड में निर्माणाधीन सुरंग की अनिश्चितता, अंधकार और कपकपाती ठंड को मात देकर आज 17 दिनों के बाद जंग जीतकर बाहर आये हैं।
आप सभी की वीरता और साहस को सलाम।जिस दिन यह हादसा हुआ उस दिन दीपावली थी, मगर आपके परिवार के लिए आज दीपावली हुई है। आपके परिवार और समस्त देशवासियों के तटस्थ विश्वास और प्रार्थना को भी मैं नमन करता हूँ। इस ऐतिहासिक और साहसिक मुहिम को अंजाम देने में लगी सभी टीमों को हार्दिक धन्यवाद। देश के निर्माण में किसी भी श्रमिक की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। प्रकृति और समय का पहिया बार-बार बता रहा है कि हमारी नियत और नीति में श्रमिक सुरक्षा और कल्याण महत्वपूर्ण भूमिका में रहे।
श्रम विभाग की टीम लीड शिखा लकड़ा ने कहा, मजदूरों को वापस लाने की तैयारी है। मजदूर एक साथ लाए जायेंगे या उन्हें छोटे- छोटे ग्रुप में लाया जायेगा इसे लेकर अभी रणनीति बन रही है। मजदूरों की सेहत की जांच उनके जिलों में भी होगी। उनके सेहत की पूरी जांच होने के बाद ही उन्हें उनके गांव भेजा जायेगा। हम अपने अधिकारियों के साथ संपर्क में है। हमारी कोशिश है कि पहले मजदूर अपने परिजनों से बात कर लें। परिजन बेसब्र होकर इस वक्त का इंतजार कर रहे थे। हम एक- एक मजदूरों का संपर्क उनके परिजनों से कराने की कोशिश कर रहे हैं। हम भी लगातार परिजनों के संपर्क में हैं।