L19 DESK : अमेरिकी कीट स्पोडोप्टेरा फुजीपर्डा ने रांची और आसपास में लाखों हेक्टेयर भूमि पर लगे मक्के की फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। राजधानी रांची सहित कई जिलों में लगी मक्के की फसल को स्पोडोप्टेरा कीट ने बरबाद करना शुरू कर दिया है। राजधानी रांची के कांके, नगड़ी, इटकी, रातू, बेड़ो, मांडर औरआशपास के इलाकों के अलावा रामगढ़, हजारीबाग, धनबाद, गढ़वा और पलामू में इन कीटों का कहर जारी है।
कई किसानों की खेत में मक्का के पौधे खराब होने पर कृषि विशेषज्ञों की मदद लेनी शुरू कर दी है। पता चला कि उनकी फसल को अमेरिकी कीट स्पोडोप्टेरा फुजीपर्डा खराब कर रहा है। यह कीट मक्के की पत्ती में छेद कर दे रहा है। 15-20 दिनों में यह पौधे मर जा रहे हैं। मक्के की बाली पर मल-मूत्र त्याग कर गंदा कर रहे हैं। इससे पूरी फसल बर्बाद हो जा रही है। अमेरिकी कीट की पुष्टि होने के बाद कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी केलन खलखो ने मक्के की खेती करने वाले किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है।
उन्होंने तत्काल इस कीट से फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करने सहित अन्य उपायों को अपनाने की सलाह दी है। पौधा संरक्षण पदाधिकारी की मानें तो यह कीट 2018 में पहली बार कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले में मक्के की खेत को नष्ट कर चुका है। इसके बाद उत्तर प्रदेश-बिहार में भी इसकी पुष्टि हुई। अब झारखंड के कई जिलों में इसके मौजूद होने का पता चला है।
यह विनाशकारी कीट मक्के के अलावा धान, बंदगोभी, चुकंदर, गन्ना, मूंगफली, सोयाबीन, प्याज, टमाटर और आलू की फसल को भी नुकसान पहुंचाता है। यह कीट पत्ते पर ही अंडे देता है। वहीं पनपता है और पत्तियां खाकर ही जिंदा रहता है। बड़े होने के साथ यह कीट तने और फलों को खाता है। अमेरिकी ‘स्पोडोप्टेरा फुजीपर्डा’ मादा कीट पत्तियों के नीचे के हिस्से पर अंडे देती है।
अंडे तीन से छह दिन के अंदर लार्वा बन जाता है। लार्वा के माथे पर वाई आकार का सफेद चिन्ह होता है और शरीर पर काले धब्बे होते हैं। प्यूपा का रंग लाल-भूरा और व्यस्क कीट के आगे के दो पंख भूरे और पीछे के पंख सफेद होते हैं। यह कीट रात को भी भ्रमण करते हैं।