L19 Desk : झारखंड में अब रैयतों के जमीनों का आवेदन बेवजह रद्द करना अंचलाधिकारियों को भारी पड़ सकता है, ज़मीन से जुड़े मामलों में अंचलाधिकारी अब अपनी मनमानी नहीं कर पायेंगे। अब केवल शिविर लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि ज़मीन के मामलों में एक्शन लेना भी अनिवार्य होगा, वरना मंत्री जी अंचलाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई कर सकते हैं।
जैसा कि आपको मालूम है, रांची डीसी के निर्देश के बाद बीते कुछ समय से राजधानी रांची के विभिन्न अंचलों में शिविर लगाकर ज़मीन म्यूटेशन से संबंधित मामलों का निपटारा किया जा रहा है। हमारा चैनल लोकतंत्र 19 हमेशा से ज़मीन के मुद्दों पर मुखरता से आवाज़ उठाता रहा है, हमारी टीम ने बीते 9 फरवरी को ओरमांझी में लगे शिविर में पहुंचकर वहां रिपोर्टिंग की थी, आपको बिल्कुल विस्तार से समझाया था कि ज़मीन के मामलों का निपटारा कैसे हो रहा है। ओरमांझी सीओ से बातचीत भी की थी, सीओ ने बताया था कि इस शिविर में कुल 190 मामले रद्द हो गये। जब हमारी टीम ने उनसे आवेदन रद्द होने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि इसके पीछे 3 प्रमुख कारण हैं : पहला या तो प्लॉट में सुधार नहीं हुआ है, दूसरा अभिलेख की मांग की गयी थी, जो कि कई लोगों ने नहीं दिया, और तीसरा कारण ससमय दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया।
हालांकि, कई दफा यूं ही बेवजह ज़मीन से संबंधित आवेदनों को रद्द कर दिया जाता है। तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए आवेदन स्वीकार नहीं किये जाते हैं। लेकिन अब ऐसी मनमानी नहीं चलेगी। अब अंचलाधिकारियों को रैयतों का हक उन्हें दिलाना होगा, वे कामचोरी नहीं कर सकते। बेवजह आवेदन रद्द करने पर झारखंड सरकार के मंत्री उनपर कड़ा एक्शन ले सकते हैं। इसे लेकर भू राजस्व मंत्री दीपक बिरुवा ने अंचलाधिकारियों को कड़ी चेतावनी दे दी है। मंत्री ने निर्देश दिया है कि रैयतों के आवेदनों को बेवजह रिजेक्ट करने पर अंचलाधिकारी कार्रवाई के दायरे में आ जाएंगे।
इसके साथ ही अंचलों में दाखिल खारिज से संबंधित मामलों पर आवेदनों की अस्वीकृत या आपत्ति के कारणों को सीओ को 50 शब्दों में ठोस बातें लिखकर स्पष्ट कारण बताना अनिवार्य है। मंत्री ने कहा कि कई बार तकनीकी कारणों से झारभूमि साइट नहीं खुलने की बातें कहकर अंचल अधिकारी आवेदनों को जिस तरह रिजेक्ट करते रहे हैं, ऐसा बहाना अब नहीं चलेगा। जमीन मामले में अंचलों में कई गड़बड़ियां हैं, जिसके कारण सरकार को भुगतना पड़ता है। इसलिए सभी अंचल अधिकारी पदाधिकारी सचेत होकर ईमानदारी से अपना काम करें।
इसके साथ ही मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि कई माडर्न रिकार्ड रूम से खतियान निकालने पर सही छपाई नहीं होती है। खतियान फोटो कॉपी नहीं दिखता है। ऐसी विसंगतियों को दुरुस्त किया जाए। स्पष्ट स्कैनिंग नहीं होने पर रैयतों को अपने जमीन की सही जानकारी नहीं मिलती। माडर्न रूम में कैथी और बांग्ला भाषा में लिखे खतियानों को अनुवाद करने की सुविधा आवश्यक है।
आपको बता दें कि बीते कुछ समय से राजधानी रांची सहित राज्यभर के विभिन्न जिलों में ज़मीन म्यूटेशन के नाम पर घूसखोरी के क मामले सामने आ रहे हैं। आलम ऐसा है कि जमीन के मामले में अगर आप सिस्टमैटिक तरीके से काम कराना चाहते हैं, तो आपको सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ेंगे, इसमें भी कोई गारंटी नहीं है कि आपका काम बनेगा या नहीं।
वहीं, अगर आप सीओ बीडीओ ऑफिस में घूस खिलाते हैं, तो आपका काम बड़ी आसानी से और बहुत तेज़ी से निपट जायेगा। जितनी ज्यादा रिश्वत, उतना जल्दी काम। हाल के समय से रिश्वत लेते कई अंचलाधिकारियों का पर्दाफाश भी हुआ। इन्हीं सबको देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीते दिनों अपने भाषण के दौरान कहा था कि सीओ बीडीओ का दफ्तर जमीन दलालों का अड्डा बन गया है। इस दौरान उन्होंने अंचल अधिकारियों कर्मियों और बीडीओ स्तर के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि हमारी नज़र ऐसे अधिकारियों पर बनी हुई है, और बहुत जल्द ही हम एक ऐसी मुहिम चलायेंगे जहां कोई भी बीडीओ सीओ कुछ हेराफेरी करते पकड़े जायेंगे, तो उनपर तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें नौकरी से हटा देंगे।
वहीं, हमारा चैनल, लोकतंत्र 19 भी पिछले 2 सालों से ज़मीन लूट की खबर आप दर्शकों तक पहुंचाता रहा है, कई दफा सरकारों पर भी सवाल खड़े करता रहा है, अब इसका सकारात्मक असर दिखना शुरु हो गया है। अब रैयतों को उनके ज़मीन का अधिकार मिलना शुरु हो गया है। अब ज़मीन दलाल चाहकर भी कोई हेराफेरी नहीं कर सकते हैं।