L19 Desk : “अगर केंद्र ने झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये नहीं चुकाया, तो राज्य की कोयला खदानों को बंद कर देंगे, पूरा देश अंधकार में डूब जायेगा।” मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस चेतावनी के बाद अब झारखंड को उसकी बकाया राशि 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये मिलने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार झारखंड का बकाया पैसा चुकता करने पर राज़ी हो गयी है। लेकिन क्या अब झारखंड भाजपा रास्ते का रोड़ा बनने वाली है? और आखिरकार झारखंड की बकाया राशि पर भाजपा कौन से नये सवाल खड़े कर रही है ?
राधाकृष्ण किशोर ने की निर्मला सीतारमण और जी किशन रेड्डी से मुलाकात
झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बीते कल 7 फरवरी को दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी से मुलाकात की। इस दौरान राधाकृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार पर झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये भुगतान करने की मांग करते हुए पत्र सौंपा।
इस दौरान राधाकृष्ण किशोर ने निर्मला सीतारमण और जी किशन रेड्डी को बकाया राशि का पूरा ब्योरा सौंपा, बताया कि कौन से मद में कितनी राशि चुकता करना बाकि है। उन्होंने कहा कि झारखंड खनिज संपदा से भरपूर है।
किस मद में कितनी राशि बकाया ?
राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य की आय का मुख्य स्रोत खनन है, जिसमें कोयला खदानों से 70-80 प्रतिशत राजस्व आता है। कोयला कंपनियों पर धुले कोयले की रॉयल्टी का 2,900 करोड़ रुपये बकाया है। पर्यावरण मंजूरी सीमा तक खनन पर 32,000 करोड़ रुपये और सबसे ज्यादा 1,01,142 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण का बकाया है। कुल मिलाकर केंद्र सरकार पर झारखंड के 1,36,042 करोड़ रुपये बकाया हैं।
बकाया राशि के साथ अनुदान की भी मांग की
इस दौरान झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बकाया राशि के साथ साथ झारखंड के लिये आर्थिक मदद की भी मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से झारखंड को मिलने वाला सहायता अनुदान भी कम होता जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 12,302.67 करोड़, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 11,993.31 करोड़, 2021-22 में 10,666.85 करोड़, 2022-23 में 10,893.54 करोड़, 2023-24 में 9,146.26 करोड़ रुपये मिले। 2024-25 के लिए 16,961.35 करोड़ रुपये का अनुमान है, लेकिन दिसंबर 2024 तक सिर्फ 4,808.89 करोड़ रुपये ही मिले हैं।
झारखंड के लिये क्यों जरूरी है 1.36 हजार करोड़ रुपये ?
इस दौरान राधाकृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार के सामने झारखंड की दुर्दशा की व्याख्या की, साथ ही ये भी बताया कि बकाया राशि चुकता न होने से कितने विकास के काम ठप्प पड़े हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि अलग राज्य के रूप में झारखंड का गठन तो हो गया, लेकिन इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि जिस सामाजिक-आर्थिक विकास की अपेक्षा थी, वह उस गति से नहीं हो पायी। सूखे ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है। राज्य सरकार महिला सशक्तीकरण, कृषि और पशुपालन के माध्यम से इसे मजबूत करना चाहती है। इसके लिए केंद्र सरकार से आर्थिक मदद की जरूरत है। कोयला कंपनियों पर भारी बकाया राशि है, जिसके मिलने से राज्य को काफी मदद मिलेगी।
कोयला मंत्री ने कमिटी गठन का दिया निर्देश
इसके बाद केंद्र सरकार के कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने खनन मामले में झारखंड की बकाया राशि देने का आश्वासन दिया। कोयला मंत्री ने मंत्रालय की अपर सचिव स्मिता प्रधान को निर्देश दिया कि वह कोयला मंत्रालय और झारखंड सरकार के खान विभाग के अधिकारियों की टीम गठित करे। यह कमिटी वास्तविक बकाया राशि की गणना करे. जो वास्तविक राशि होगी, वह झारखंड को दी जायेगी।
झारखंड भाजपा ने हेमंत सरकार की मांग पर उठाये सवाल
कुल मिलाकर केंद्र सरकार पर झारखंड की बकाया राशि के भुगतान का रास्ता अब साफ होता तो दिख रहा है, हालांकि, अब प्रदेश भाजपा ने बकाया राशि को चुकाने की हेमंत सरकार की मांग को नाजायज़ ठहराया है।
बीते कल जहां एक ओर राधाकृष्ण किशोर झारखंड की बकाया राशि की मांग को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री और कोयला मंत्री से मिले, वहीं दूसरी ओर झारखंड भाजपा ने इस संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। प्रेस वार्ता में झारखंड प्रदेश भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर केंद्र के पास राज्य के 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपए बकाया होने का गलत नैरेटिव फैलाने का आरोप लगाया है।
भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के राज्यों को बकाया राशि दिए जाने के आदेश की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गलत तरीके से व्याख्या कर रहे हैं। प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 में मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं अन्य के मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया था कि यह आदेश उन सभी राज्यों पर भी लागू होगा, जो इस केस में पार्टी नहीं थे।
12 सालों में किश्तों में होगा भुगतान
इस जजमेंट में यह स्पष्ट है कि राज्यों की जो बकाया राशि है, वह 12 सालों में 12 किस्तों से दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में स्पष्ट वर्णित है कि बकाया राशि की किस्तों का भुगतान 1 अप्रैल 2026 से शुरू होना है, जो कि 1 अप्रैल 2037 तक चलेगा। इसी जजमेंट में सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश है कि 25 जुलाई 2024 से पहले का कोई भी इंटरेस्ट और पेनाल्टी का आकलन नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार 60,000 करोड़ के करीब का मुआवजा इंटरेस्ट के रूप में मांग रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने बकाया राशि में राज्य सरकारों को इंटरेस्ट लेने से रोक लगाई थी।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने केंद्र के पास 1.36 लाख करोड़ की जिस राशि के बकाया होने का बार-बार जिक्र किया है, वह आंकड़ा कहां से आया, इस पर ही बड़ा प्रश्न है। हालांकि, प्रतुल शाहदेव ने स्पष्ट किया कि बीजेपी पूरे तरीके से राज्य का उसका वाजिब हक दिलाने के लिये संकल्पित है।
झारखंड को मिल पायेगा केंद्र पर अपना बकाया 1.36 लाख करोड़ ?
कुल मिलाकर देखें, तो एक तरफ केंद्र की भाजपा सरकार झारखंड की बकाया राशि का भुगतान करने पर राज़ी हो गयी है, वहीं, दूसरी तरफ झारखंड भाजपा अब इसी मांग पर सवाल भी खड़े कर रही है। तो क्या आने वाले समय में भाजपा बकाया राशि की मांग पर दोहरा रवैया अपनाने वाली है ? क्या वाकई झारखंड को उसकी बकाया राशि वापस मिल पायेगी, या फिर हेमंत सोरेन कोयला खदानों पर ताला जड़ देंगे ?