L19 DESK : झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद जिले के झरिया के घनुडीह थाना कांड के आठ वर्ष पुराने मामले में पुलिसिया हिरासत में मारे गये उमेश सिंह की बेवा को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने कहा है कि यह पुलिस की बर्बरता है। अदालत ने झारखंड पुलिस के दोषी पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई नहीं किये जाने को भी गंभीरता से लिया।
अदालत ने छह सप्ताह के अंदर मृतक उमेश सिंह के परिजनों को मुआवजे की राशि का भुगतान करने को कहा है। घटना में दोषी पाये गये सभी पुलिस अधिकारियों से राशि की वसूली करने का आदेश भी दिया गया है। जानकारी के अनुसार मृतक उमेश सिंह की पत्नी ने झारखंड हाईकोर्ट में मामला दर्ज कराया था। बबीता देवी के वकील ने अदालत को बताया कि झरिया के घनुडीह ओपी के प्रभारी हरिनारायण राम के निर्देश पर घनुडीह चौकी के मुंशी पवन सिंह ने जून 2015 में उमेश सिंह को हिरासत में ले लिया था।
उमेश सिंह जब हिरासत में लिये जाने के एक दिन बाद घर नहीं लौटे, तो उनके परिवार ने उनकी तलाश की और घनुआडीह जोरिया के पास उनका शव पड़ा हुआ मिला। उस समय उमेश सिंह के शरीर पर चोट के कई निशान थे और शरीर पर एक अंडरगार्मेंट ही थी। याचिका में कहा गया था कि मृतक का शर्ट थाने के लॉकअप में मिला था। इसकी पुष्टि परिवार ने एक वीडियो रिकॉर्डिंग में की थी।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि बबीता देवी ने झरिया पुलिस स्टेशन में हरिनारायण राम, पवन सिंह, सतेंद्र कुमार और अज्ञात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। पर मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने डेढ़ साल से अधिक समय तक पीड़िता का बयान ही दर्ज नहीं किया। झारखंड सरकार ने मामले की सीआइडी जांच भी करायी, पर सीआइडी की जांच में सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। इसके बाद मामला झारखंड हाईकोर्ट में दर्ज कराया गया। पीड़िता को एडवोकेट की तरफ से कई तरह के सहयोग भी किया गया।