L19/Ranchi : उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिल्क्यारा में निर्माणाधीन टनल ढह जाने के कारण 17 दिनों तक फंसे रहने वाले मजदूरों ने अपनी आपबीती साझा की। उनमें 41 मजदूरों में से झारखंड के एक मजदूर अनिल बेदिया ने बताया कि उन्होंने अपनी प्यास बुझाने के लिये चट्टानों से रिसने वाले पानी को चाटकर 10 दिनों तक अपनी प्यास बुझाई। भूख मिटाने के लिये वे 10 दिनों तक मुरमुरे पर जिंदा रहे। 22 साल के इस मजदूर ने बताया कि सुरंग का हिस्सा धराशायी होने के बाद मौत बहुत करीब दिखायी पड़ रही थी। ये एक भयावह सपने की तरह था।
बकौल बेदिया, “12 नवंबर को सुरंग का मलबा ढहने के बाद हम लोग बुरी तरह फंस गये थे। हम सबको लगने लगा था कि यहीं दफन हो जायेंगे। शुरुआती कुछ दिनों में हमने सारी उम्मीदें खो दी थी। मगर हमारे जीवित रहने की उम्मीद तब जगी, जब अधिकारियों ने करीब 70 घंटे बाद हमसे संपर्क साधा। दो सुपरवाइजरों ने उन्हें चट्टानों से टपकता पानी पीने को कहा। हालांकि, 10 दिने के बाद पानी की बोतलें, फलों के अलावा गर्म भोजन की भी आपूर्ति होने लगी थी।”
22 वर्षीय अनिल बेदिया रांची के खिराबेड़ा गांव के रहने वाले हैं। वहां से 13 लोग 1 नवंबर को उत्तरकाशी गये हुए थे। उन्होंने बताया कि जब सुरंग धराशायी हो गया, उस वक्त गणिमत से खिराबेड़ा के 13 लोगों में से केवल 3 ही लोग सुरंग में फंसे।
वहीं, अन्य मजदूरों ने अपनी सुरंग में फंसे रहने के दौरान की स्थिति के बारे में बताया कि वे लोग योग करते थे, जिसके वजह से उनका मनोबल बढ़ा। ये बात उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी साझा की। मोदी ने मंगलवार की रात श्रमिकों से टेलीफोन पर बातचीत की थी।
