सेना के कब्जेवाली जमीन की अवैध खरीद बिक्री मामले पर पूछताछ शुरू
L19/DESK : राजधानी रांची में सेना की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री मामले में झारखंड हाईकोर्ट के एडवोकेट हिमांशु कुमार मेहता बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के क्षेत्रीय कार्यालय में हाजिर हुए हैं। इन्हें इडी की तरफ से समन भेज कर उपस्थित होने को कहा गया था। हिमांशु कुमार मेहता से अधिकारियों ने पूछताछ भी शुरू कर दी है। बताते चलें कि बरियातू रोड में सेना की जमीन के 4.55 एकड़ की अवैध खरीद-बिक्री में एडवोकेट हिमांशू मेहता का भी हाथ था। इन्होंने जमीन का असली वारिस कहनेवाले जयंत कर्नार्ड को सेना के कब्जेवाली जमीन का किराया लेने के लिए हकदार बनाया था। जयंत कर्नार्ड ने एक दर्जन से अधिक लोगों को इस जमीन की बिक्री कर दी थी, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा एडवोकेट हिमांशू मेहता ने लिया था। जांच के दौरान ईडी ने जयंत कर्नाड को समन कर पूछताछ के लिए बुलाया था। ईडी ने कर्नाड से सेना के कब्जेवाली जमीन के मालिकाना हक से संबंधित दस्तावेज की मांग की थी। ईडी को दिये गये बयान में उन्होंने कहा कि सारे दस्तावेज वकील हिमांशु कुमार मेहता के पास हैं।
ईडी की जांच में पता चला है कि अधिवक्ता हिमांशु कुमार मेहता द्वारा झारखंड हाईकोर्ट में प्रस्तुत किये गये जयंत कर्नाड के दस्तावेज और दावे गलत थे। उन्होंने जानबूझकर हाईकोर्ट के समक्ष विशिष्ट तथ्यों को छुपाया, क्योंकि सेना खुद किराये का भुगतान करने के लिए सही दावेदार की तलाश कर रही थी। उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष इस तथ्य को छुपाया कि याचिकाकर्ता यानी जयंत कर्नाड के पास उत्तराधिकार प्रमाणपत्र नहीं है, जो कि बचाव पक्ष द्वारा आवश्यक था। जयंत कर्नाड और हिमांशु कुमार मेहता ने साथ मिलकर झारखंड हाईकोर्ट से कागजात या साक्ष्य तैयार करके अनुकूल आदेश प्राप्त किये, जो संपत्ति के लिए जयंत कर्नाड के उत्तराधिकार को साबित कर सकते थे। ईडी ने कहा है कि उनकी मां मालती कर्नाड और स्व. बीएम मुकुंद राव का खून का रिश्ता है। ईडी की जांच में यह भी पता चला कि बीएम मुकुंद राव के पुत्र बीएम लक्ष्मण राव का नाम एमएस प्लॉट नंबर की रैयत के रूप में दर्ज है।