L19/Dhanbad : आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने धनबाद के तत्कालीन जेलर अश्विनी तिवारी के खिलाफ पीई दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। एसीबी ने अश्विनी के खिलाफ पिछले साल 1 अगस्त को आईआर दर्ज किया था। आईआर जांच में आय़ से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप प्राइम फेशी सही पाये गये हैं। इसी के आधार पर एसीबी ने मंत्रीमंडल निगरानी व सचिवालय विभाग से पीई दर्ज करने का आदेश मांगा था। विभाग द्वारा पर्मिशन ग्रांट किये जाने के बाद एसीबी की टीम ने पीई दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।
अश्विनी तिवारी पर लगे आरोपों के अनुसार, पद पर रहते हुए उन्होंने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। साल 1985 में अश्विनी तिवारी की नियुक्ति जेलर के तौर पर हुई थी। पहले वह चास जेल में पोस्टेड रहे। क्लर्क रहते हुए चास मंडल कारा के प्रभार में वह साल 2004 तक काबिज रहे। इसके बाद उन्हें धनबाद जिले में तैनात कर दिया गया। आऱोपों के मुताबिक, पद पर रहते हुए तिवारी ने दिल्ली तक में फ्लैट खरीदी। वहीं, चास समेत कई शहरों में अचल संपत्ति में निवेश किया। चास में ही करोड़ों के मकान के निर्माण की बात भी सामने आयी है। एसीबी को पता चला है कि आरोपी तिवारी ने अपने बेटे का एडमिशन कनाडा में करा रखा था। तब भी 15 लाख नकदी उसके बैंक खाते में जमा कराये गये थे।
बता दें, धनबाद में जेलर के पद पर रहते हुए अश्विनी तिवारी को तत्कालीन जेल आईजी मनोज कुमार ने मई 2022 में निलंबित किया था। धनबाद के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ समीर से अमन सिंह ने धनबाद जेल से रंगदारी मांगी थी। जांच में यह बात सामने आयी कि डॉ समीर से जिस वक्त रंगदारी मांगी गई थी, उस वक्त सीने में दर्द की शिकायत कर वह जेल अस्पताल में चला गया था।
वहीं से ही उसने फोन कर रंगदारी मांगी थी। जेल आईजी ने जब जेल के सीसीटीवी की जांच की, तो पता चला कि जेल अस्पताल में एक ऐसा एरिया था, जिसे सीसीटीवी की पहुंच से दूर रखा गया था। वहीं जाकर अमन ने फोन किया था। जेलर की मिलीभगत का मामला जेल आईजी ने पाया था। इसके बाद 13 मई 2022 को अश्विनी को निलंबित किया था। निलंबन के बाद ही एसीबी ने भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने से जुड़ी आईआर दर्ज की थी।