महाप्रबंधक से लेकर निम्न वर्गीय लिपिक राजेश कुमार, बास्की प्रसाद और कोल एजेंट उत्तम सिंह हैं मास्टर माइंड
करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित कर रखी है इस सिंडिकेट ने
Loktantra19 विशेष, तीर्थ नाथ आकाश
L19 DESK : झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) के संविदा कर्मी और निम्न वर्गीय लिपिक निगम को बड़े पैमाने पर चूना लगा रहे हैं। इनका गिरोह कोल हैंडलिंग से लेकर बंद पड़ी इकाईयों को कोयले की आपूर्ति से लेकर कोयले का आवंटन तक कर रहे हैं.. इस खेल के सबसे बड़े फनकार हैं संविदा कर्मी उमेश कुमार सिंह, बास्की प्रसाद और निम्न वर्गीय लिपिक राजेश कुमार, मनीष कुमार और अन्य हैं । इस सिंडिकेट का बेहतर गंठजोड़ निगम के प्रबंध निदेशक और माइंस महाप्रबंधक के साथ है।
जानकारी के अनुसार हाल में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की तरफ से बालू प्रभारी अशोक कुमार और कोल हैंडलिंग एजेंट इजहार अंसारी के रामगढ़, रांची, हजारीबाग के 14 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गयी थी। छापेमारी में पांच करोड़ रुपये नगद, एक दर्जन शेल कंपनियों की जानकारी और बंद पड़ी औद्योगिक इकाईयों में कोयले की आपूर्ति करने का पता चला था। इडी सारे दस्तावेजों की जांच कर रही है ।
अब इडी की नजर जेएसएमडीसी के कोल हैंडलर राजेश कुमार, उमेश सिंह, मनीष कुमार और अन्य पर है। इडी इन पहलुओं की भी तलाश कर रही है कि कैसे जेएसएमडीसी की तरफ से सिंकनी कोल परियोजना लातेहार, रामगढ़ के कुजू तथा रामगढ़ के अन्य कोयला खदानों से बंद पड़ी कंपनियों को कोयले की आपूर्ति कराने का खेल खेला जाता रहा है। निलंबित आईएएस पूजा सिंघल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी है और अब आरोप पत्र गठन करने की प्रक्रिया चल रही है। पिछले 20 वर्षों से उमेश कुमार सिंह जेएसएमडीसी में कार्यरत हैं।
इसी सिंडिकेट के जरिये आइएएस अफसर पूजा सिंघल और पूर्व आइएएस के श्रीनिवासन तक मोटी रकम पहुंचायी जाती थी । बताया जाता है कि इन लोगों ने कई जगहों पर अपनी ऊपरी कमायी से करोड़ों की चल-अचल संपत्ति अर्जित की है । बास्की प्रसाद कोल हैंडलिंग और कोयले की फरजी आपूर्ति का लेखा-जोखा रखते हैं और उन्हीं के जरिये पैसे का बंटवारा होता है । वहीं राजेश कुमार ट्रांसपोर्टेशन का काम देखते हैं । इनके बारे में बताया जाता है कि इन्होंने कोयले की अवैध कमाई का एक बड़ा हिस्सा सूद के धंधे में लगा रखा है । राजधानी रांची समेत खलारी, रामगढ़, हजारीबाग तथा अन्य जगहों पर कारोबारियों को लाखों रुपये दे दिये हैं, जिससे उन्हें मंथली बेहतर रिटर्न मिलता है. इन्होंने नामकुम प्रखंड के पास करोड़ों रुपये का मकान बनवाया है ।
इस सिंडिकेट को पूरे राज्य के कोल ट्रेडिंग का जिम्मा भी मिला हुआ है. यानी बालू और स्टोन माइंस के बाद कोल ट्रेडिंग के नाम पर भी करोड़ों का वारा न्यारा जेएसएमडीसी में हो रहा है । . यह सिंडिकेट कोल ट्रेडिंग सिकनी, रामगढ़, हजारीबाग, धनबाद, दुमका, चतरा, लातेहार समेत अन्य जगहों से करा रहा है. बताते चलें कि जिन जिलों से भी कोल की ट्रेडिंग हो रही है, वहां इन सिंडिकेट का पर्सेंटेज 300 रुपये प्रति टन से लेकर एक हजार रुपये प्रति टन फिक्सड है । यह पैसा नियमित रूप से प्रति माह सिंडिकेट तक पहुंचता है और यहीं से उसका बंटवारा भी होता है. इनके एक बड़े साझीदार जेएसएमडीसी के प्रोडक्शन शाखा के बास्की प्रसाद भी हैं । पैसे के लेन-देन में ये महत्वपूर्ण कड़ी हैं, जिन्हें जीएम और माइंस एजेंट उमेश सिंह का साथ मिलता है ।
माइंस एजेंट उमेश सिंह को पूर्व में भारतीय खान ब्यूरो (आइबीएम) ने मिनरल कंसेसन एंड डेवलपमेंट रूल्स 1988 का उल्लंघन का आरोपी बताया था । बेंती-बाग्दा चूना पत्थर खदान के माइंस एजेंट के रूप में उमेश सिंह ने नियमों का पालन नहीं किया गया । इनके खिलाफ दो वर्षों की सजा के साथ-साथ 50 हजार रुपये का जुर्माना की अनुशंसा की गयी थी । भारतीय खनन ब्यूरो के क्षेत्रीय नियंत्रक आर पुरोहित ने सात मार्च 2016 को पत्रांक जेएचके-आरएनसी-एलएसटी-307-पीआरओ के नाम से उमेश कुमार सिंह को वायोलेशन लेटर भेजा गया था ।
इसमें कहा गया था कि 135.52 हेक्टेयर में फैले बेंती बाग्दा माइंस में मिनरल कंजरवेशन एंड डेवलपमेंट रूल्स 1988 का घोर उल्लंघन हुआ है । इस संबंध में भारतीय खनन ब्यूरो के सहायक माइनिंग भूतत्ववेत्ता बीके सिंह ने 17 फरवरी 2016 को जांच भी की थी । नियमों के उल्लंघन में कहा गया था कि बेंती बागदा माइंस की माइनिंग का प्लान 31 जनवरी 2013 को एप्रूव्ड हुआ था, जो 31 जनवरी 2016 तक वैध था. इसके बाद 2 दिसंबर 2016 तक कोई माइनिंग प्लान आइबीएम के पास नहीं दिया गया था ।