RANCHI : झारखंड सरकार ने राज्य में गिग और प्लेटफॉर्म आधारित कामगारों के हित में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है. राज्य सरकार द्वारा लाए गए झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम को राज्यपाल की मंजूरी मिल चुकी है, जिसके बाद यह कानून अब प्रभावी हो गया है.
इस कानून के लागू होने के बाद राज्य में डिलीवरी ब्वॉय, कैब ड्राइवर, ई-कॉमर्स और ऐप आधारित सेवाओं से जुड़े गिग वर्कर्स को पहली बार कानूनी सुरक्षा, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार मिलेगा.
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गिग वर्कर्स को मिलेंगी ये सुविधाएं
नए कानून के तहत गिग वर्कर्स को न्यूनतम मजदूरी तय किए जाने का प्रावधान किया गया है, जिससे उन्हें उनके काम के अनुसार सम्मानजनक भुगतान सुनिश्चित हो सके. इसके साथ ही दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य बीमा, आपात चिकित्सा सहायता और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ भी दिए जाएंगे.
बनेगा गिग वर्कर्स कल्याण बोर्ड
कानून के अंतर्गत एक गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म कंपनियों का पंजीकरण करेगा. बोर्ड द्वारा कामगारों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जाएगा.
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एग्रीगेटर कंपनियों की जवाबदेही तय
प्लेटफॉर्म आधारित कंपनियों और एग्रीगेटर्स के लिए भी इस कानून में जिम्मेदारियां तय की गई हैं. कंपनियों को अपने गिग वर्कर्स का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित कंपनियों पर जुर्माना और अन्य कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है.
क्यों अहम है यह कानून
गिग इकॉनमी तेजी से विस्तार कर रही है, लेकिन अब तक इससे जुड़े कामगार किसी ठोस कानूनी सुरक्षा के दायरे में नहीं थे. इस कानून के जरिए झारखंड सरकार ने गिग वर्कर्स को संगठित क्षेत्र के समान अधिकार देने की दिशा में अहम पहल की है.
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस कानून से लाखों गिग वर्कर्स की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और उन्हें सामाजिक सम्मान भी मिलेगा. साथ ही यह कदम श्रम सुधारों की दिशा में झारखंड को अग्रणी राज्यों की कतार में खड़ा करता है.
