L19 DESK : झारखंड इन दिनों ईडी के रडार पर है। आए दिन राजनीतिक लोगों के साथ-साथ ब्यूरोक्रेसी में उपस्थित लोगों के घरों,कार्यालयों में ईडी की छापेमारी चल रही है। पूजा सिंघल, वीरेंद्र राम, छवि रंजन जैसे अधिकारियों के ऊपर ईडी की कार्रवाई चल रही है।
इधर, बीते दिनों झारखंड के उत्पाद सचिव और उत्पाद आयुक्त को छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले मामले में ईडी की ओर से नोटिस भेजा गया है। बताते चलें कि छत्तीसगढ़ टीम ने नोटिस भेजकर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ शराब की विवादित नीति के पालन के वैज्ञानिक करार से संबंधित मामले के पक्ष रखने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि इस समय राज्य के उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे और उत्पाद आयुक्त करण सत्यार्थी हैं। इस करार में छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के किंगपिन अरुण पति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की भूमिका के बारे में पूछा गया है। ईडी झारखंड में भी शराब की खुदरा दुकानों के जरिए अवैध शराब की आपूर्ति करने के बिंदु पर छानबीन कर रही है।
जैसा कि पिछले दिनों छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का किंगपिन अरुण को पति त्रिपाठी सीएसएमसीएल एमडी बनाया गया था उस समय वह अपने पार्टनर सिद्धार्थ सिंघानिया के साथ मिलकर झारखंड का काम देखता था। झारखंड में शराब के खुदरा व्यापार के लिए नियुक्त की गई माइंड पावर एजेंसियों के लिए सिद्धार्थ सिंघानिया लाइनर की भूमिका निभा रहा था। दोनों लोग अनवर ढेबर नामक शराब माफिया के साथ मिलकर काम कर रहे थे। अनवर ढेबर रायपुर के मेयर का भाई भी है। माना जाता है झारखंड में शराब व्यापार के सरकारीकरण में अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।
भारतीय जनता पार्टी सदन में शराब घोटाले को लेकर बार-बार आवाज उठाती रही है। विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने इस मामले पर सीबीआई जांच करने की भी मांग की है। विधानसभा में अन्य कई भाजपा विधायकों ने भी इस नई उत्पाद नीति की वजह से राज्य को हो रहे नुकसान और शराब व्यापारी के सरकारीकरण से शराब माफिया को मुनाफा होने देने की मुद्दा को बार-बार उठाने का काम किया था, और करते आ रहे हैं। इन्हीं सारे बिंदुओं पर सीएसएमसीएल के साथ शराब की विवादित नीति के पालन के वैधानिक करार से संबंधित मामले के पक्ष रखने को झारखंड में भी खुदरा दुकानों के जरिए अवैध शराब की आपूर्ति के बिंदु पर जांच कर रही है।
कोरोना काल के दौरान छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानों को बंद किया गया था। परंतु इसके बावजूद बॉटलिंग प्लांट उत्पाद होने और शराब की बिक्री चालू रहने से संबंधित सबूत ईडी के हाथ लगी है। ज्ञात हो कि झारखंड में मई 2022 से शराब का थोक कारोबार छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों के लिए दिया गया था। इन दोनों कंपनियों का संचालक अपरोक्ष रूप से अनवर ढेबर को बताया जाता है। दोनों कंपनियों की बैंक गारंटी के रूप में 36 करोड़ जब्त करने के बावजूद काम दिया जा रहा है। राज्य की शराब दुकानों से छत्तीसगढ़ की अवैध शराब का कारोबार होने और इसमें झारखंड सरकार के पदाधिकारियों की संलिप्तता के संदेह की भी जांच की जा रही है। इसी के मद्देनजर राज्य के उत्पाद सचिव और उत्पाद आयुक्त को ईडी द्वारा नोटिस भेजा गया है, जिस पर बहुत जल्द इसकी जांच होने की संभावना है।