L19/ DESK : झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता वा डुमरी विधनसभा से तीन बार के विधायक सह वर्तमान सरकार मे शिक्षा मंत्री जरगरनाथ महतो का 56 वर्ष की आयु मे निधन हो गया। कोरोना महामारी के दौरान नवंबर 2020 मे भी जिंदगी की जंग को हारते हारते जीत गए थे, जहां चेन्नई के महात्मा गांधी मेमोरियल मे उनका फेफड़े का प्रत्यारोपन किया गया था। परंतु ईश्वर की मर्जी भी कुछ और होती है।आज सुबह करीब 6 बजे के आसपास श्री महतो ने आखिरकार इस दुनिया को अलविदा कह दिया।पिछले दिनों चेन्नई के एमजीएम अस्पताल मे भर्ती हुये थे जहां आज यानि 6 अप्रैल 2023 को अंतिम सांस ली।
जगरनाथ महतो की डिग्री हमेशा रही विवादों मे
जगरनाथ महतो की शैक्षणिक जीवन की बात करे तो वे सिर्फ मैट्रिक तक पढ़ पाये थे,उन्होने सन 1995 मे नेहरू हाई स्कूल तेलो बोकारो से दसवीं पास किया था। इसके बाद जब 2019 मे झारखंड सरकार मे शिक्षा मंत्री बनाया गया तब लोगों और पार्टी ने उनकी डिग्री को लेकर खूब मज़ाक उड़ाया था,तब महतो ने ठाना था की वे 11 वीं का एग्जाम देंगे इसके लिये उन्होने देवी महतो इंटर कॉलेज नवाडीह मे दाखिला लिया था। बताते चले कि इस कॉलेज को भी स्व. महतो ने ही सन 2006 मे बनवाया था। आगे ना पढ़ पाने के कारण और शिक्षा के महत्व को स्व. महतो भलीभाँति समझते थे येही कारण हैं वे बच्चों को आगे पढ़ने की हमेशा प्रेरणा देते थे। राजनीति मे आने की वजह से स्व.महतो आगे पढ़ नही पाये, लेकिन वह हमेशा चाहते थे कि झारखंड का हर बच्चा शिक्षित हो। यही कारण है कि जब भी परीक्षा होती थी,वह गाँव गाँव घूम घूमकर बच्चों को जगाते थे और पढ़ने के लिए कहते थे।श्री महतो आजीवन झारखंड और झारखंडियोंकी चिंता की,जब भी माटी की बात होती थी जगरनाथ महतो हमेशा खड़े होते थे।
बोकारो जिले के चन्द्रपुरा प्रखण्ड के एक छोटे किसान परिवार मे जन्म
दिसूम गुरु शिबू सोरेन को अपना राजनीतिक गुरु मानते वाले जगरनाथ महतो का जन्म 1 जनवरी 1967 को बोकारो जिले के चन्द्रपुरा प्रखण्ड के सिमराकुलही अलारगो मे एक किसान परिवार मे हुआ था। चार भाई बहनों मे सबसे बड़े स्व. जगरनाथ महतो थे,उनके एक भाई वासुदेव महतो वर्तमान मे तारमी पंचायत के मुखिया हैं। जगरनाथ महतो अपने पीछे चार बिटियों और पुत्र से भरापूरा परिवार को छोडकर चले गए ।
जाग्रनाथ महतो झारखंड के समाजसेवी के साथ साथ राजनीति मे एक ऐसे नेता थे जो अपनी बेबाकी के लिये जाने जाते थे। हेमंत सरकार मे 1932 आधारित नियोजन नीति का बार-बार समर्थन मे कहा करते थे कि 1932 ही झारखंड कि पहचान है और इसे सरकार हर संभव लागू करेगी। सरकार ने कैबिनेट के बैठक मे 1932 को पास भी किया था, परंतु तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने इसे अस्वीकार करते हुये वापस लौटा दिया था। इसके बाद भी महतो बार बार 1932 के समर्थन की बात कहा करते थे,साथ भाषा आंदोलन और 1932 आंदोलन के समय प्रखरता के साथ झारखंडीयत की बात करते थे जिस कारण गैरझारखंडी जगरनाथ महतो से नाराज रहते थे। विधानसभा मे भी प्रखरता के साथ अपने बातों को रखते थे ।जगरनाथ महतो का आज सुबह आकस्मिक निधन से पूरा झारखंड शोकाकुल है। राज्य सरकार ने 6 और 7 को राजकीय शोक के रूप मे सभी सरकारी कार्यलयों मे झण्डा झुकाने का आदेश दिया है,साथ ही दो दिन राजकीय छुट्टी कि भी घोषणा कि है।