L19/Pakur : पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के चापा गांव की बदहाली का आलम यह है कि, यहाँ के लोगों को पीने के लिए पानी तक नसीब नहीं हो रहा । आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी पहाड़ी इलाके के चापा गाँव में गुजर बसर करने वाले ग्रामीणों को पानी की प्यास बुझाने के लिए दर -दर भटकना पड़ता है।
लंबे समय तक खड़े होकर नंबर लगाना पड़ता है। हांलाकी, भीषण गर्मी को दस्तक देना अभी बाकी है। लिहाजा भीषण गर्मी में ग्रामीणों का क्या हाल होगा आप अंदाजा लगा सकते है । गांव में चापाकल नही है बल्कि एक ही कुआं है जिसमे सभी गाँव वाले इसी कुएं पर आश्रित है। पानी लेने के लिए गाँव के लोग बारी-बारी से घंटो इंतज़ार के बाद नम्बर लगता है।
इसके बावजूद शुद्ध पेयजल नसीब नही होता है, ग्रामीण गंदे पानी से प्यास बुझाने को बेबस है यहाँ के आदिम जनजाति के लोगो को पानी की किल्लत के कारण करीब हफ़्ते दिनों बाद नहाने का मौका मिलता है। कुंआ में जब पानी की कमी हो जाती है तो तंग आकर दो किलोमीटर दूर रोलडीह गांव के चापाकल से पानी लाने को मजबूर होना पड़ता है। कड़ी तपिश गर्मी में सर पर हड़िया डेगची,घड़ा,बाल्टी लेकर निकल पड़ते है पानी की खोज़ में ताकि अपनी प्यास बुझा सके।
रिपोर्ट: शमशेर अहमद