L19 DESK : अग्निपथ योजना को बरकरार रखने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत दे दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की बेंच ने इस मामले पर दस अप्रैल को फैसला लिया जाएगा। अग्निपथ योजना की घोषणा से पहले केंद्र ने सशस्त्र बलों में विभिन्न पदों पर भर्तियों की घोषणा की थी।
कुछ नियुक्ति चल रही थीं तो कुछ मामलों में चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट लगने वाली थी लेकिन अग्निपथ योजना लाने के बाद केंद्र ने रुकी भर्ती की प्रक्रियाओं को रद कर दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्निपथ योजना को बरकरार रखते हुए थलसेना और वायु सेना द्वारा पूर्व में शुरू की गई भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा करने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
अग्निपथ योजना के जरिए साढ़े 17 से 23 वर्ष की आयु के लोग सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए फॉर्म भर सकते हैं। इनका कार्यकाल चार साल का होगा। इस मामले में अब 10 अप्रैल फैसला होगा । बेंच ने कहा कि प्रतियोगी पक्षों के वकील लिस्टिंग की अगली तारीख से कम से कम दो दिन पहले अपनी संक्षिप्त दलीलें ईमेल के माध्यम से दाखिल करेंगे।
उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी को कहा था कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के प्रशंसनीय उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय हित में तैयार की गई थी। अदालत ने योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच को खारिज कर दिया था और इसे केंद्र का “सुविचारित” नीतिगत निर्णय करार दिया था।
अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अलावा, कोर्ट ने पिछले कुछ विज्ञापनों के जरिए सशस्त्र बलों में भर्ती प्रक्रिया से जुड़े कई याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था, जबकि स्पष्ट किया था कि ऐसे उम्मीदवार भर्ती के हकदार नहीं हैं। पिछले विज्ञापनों से जुड़े दलीलों को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था कि अग्निपथ योजना जनहित में है और आवेदन शुरू करने से पहले जारी अधिसूचना के जरिए शुरू की गई प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी के आधार पर उम्मीदवारों की किसी भी तरह की भर्ती नहीं की जा सकती है। अधिकार नई नीति का दावा नहीं कर सकते।