L19 DESK : अनुमंडल अधिकारी रंजीत लोहरा एक बार फिर विवाद में फंस गये हैं. उन्होंने हाईकोर्ट के न्यायादेश के खिलाफ आदेश पारित कर दी । इस आदेश को विश्वनाथ महतो और अन्य ने कोर्ट में चुनौती दी है । दायर याचिका में कहा गया है कि एसडीओ ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत कार्रवाई की है, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है. याचिका कर्ता ने एसडीओ के आदेश को निरस्त करते हुए निर्माणकार्य को तोड़ने का आग्रह किया गया है ।
याचिकाकर्ता विश्वनाथ महतो की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि रिट याचिका 5258 ऑफ 2022 के पारित आदेश के बावजूद एसडीएम चांडिल ने गुरुपद महतो को निर्माण कार्य कराने की अनुमति दी । हाईकोर्ट के आदेश के बाद अनुमंडल पदाधिकारी ने कपाली थाना के प्रभारी को आदेश दिया कि वे खाता संख्या 425, खेसरा संखथ्या 1179 में निर्माण कार्य कराने में सहयोग करें। इसमें अनुमंडल पदाधिकारी ने झारखंड हाईकोर्ट की रिट याचिका 5258 ऑफ 2022 के पारित आदेश का हवाला देते हुए निर्माण कराने का आदेश दिया था।
विश्वनाथ लोहरा ने याचिका में कहा है कि एसडीओ ने न्यायालय के पारित आदेश के उलट प्लाट पर दो मंजिला इमारत और चार दुकानों का निर्माण करा दिया । अदालत से निर्माणाधीन मकान को तोड़ने और अनुमंडल अधिकारी रंजीत लोहरा के कार्यकलापों की जांच करने की मांग की गयी है । यह कहा गया है कि स्वार्थ वश एसडीओ चांडिल ने गुरुपद महतो का साथ दिया. इसके लिए पुलिस प्रशासन को भी अधिकारी की तरफ से निर्देश दिये गये ।
याचिका में कहा गया है कि प्रशासनिक अधिकारों का अनुमंडल अधिकारी ने गलत उपयोग करते हुए 16 फरवरी 2023 को आदेश जारी कर दिया. इस आदेश को भी निरस्त करने की मांग कोर्ट से की गयी है। इससे पहले जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने 16 फरवरी को एसडीओ से पूर्व के आदेशों को वापस लेने का निर्देश देते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगाने का निर्देश दिया था । कोर्ट को यह भी बताया गया है कि कैसे गुरुपद महतो और उनके भाईयों ने बगैर बंटवारे के ही उपरोक्त जमीन पर निर्माण कार्य करा लिया