L19 DESK : ज्यादा होता है । ग्लोबोकॉन 2020 के मुताबिक यह कैंसर भारत में 17वां सबसे आम हो गया है । इसकी वजह से देश में साल भर में 11 हजार से अधिक लोगों की मौतें हो रही हैं । नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने यूरिन ब्लैडर कैंसर के इलाज को लेकर नए गाइड्लाइंस तैयार किए हैं, जिस पर जवाब मांगी है । इसमें जांच से लेकर उपचार तक के नियम शामिल हैं, जिससे जिला और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात स्वास्थ्यकर्मी को उपचार करने में आसानी रहेगी ।
मेट्रो सिटी में तेजी से पांव पसार रहा
आईसीएमआर के अनुसार दिल्ली, बंगलूरू और मुंबई जैसे शहरों में यह कैंसर लगातार बढ़ रहा है जबकि चेन्नई में कमी आई है। तंबाकू और धूम्रपान इसके मुख्य वजह है। वहीं धूम्रपान न करने वाले पुरुषों में इस कैंसर से होने वाली मौतें 31 फीसदी है । जारी गाइड्लाइन में एमआरआई जांच तक शामिल कर आईसीएमआर के एक टीम ने 45 पेज के दिशानिर्देश तैयार किए हैं जिनमें शुरुआती जांच के तौर पर एमआरआई का विकल्प बेहतर बताया है ।
विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर मामलों में इस कैंसर में दर्द की शिकायत कम रहती है । एमआरआई/सीटी के जरिए इसकी शुरूआत जांच की जा सकती है । यदि ट्यूमर साफ तौर पर दिखाई देता है तो उसका ट्रांस यूरेथ्रल रिसेक्शन किया जाना चाहिए यदि मरीज सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं है तो कीमो या फिर रेडिएशन का विकल्प हो सकता है । आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार देश में प्रति एक लाख की आबादी पर 3.57 लोग ब्लैडर कैंसर से पीड़ित हैं।
महिलाओं की अपेक्षा पुरुष इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं । दिल्ली में सबसे ज्यादा इस कैंसर के मरीज मिलते हैं । यहां एक लाख की आबादी पर 7.4 लोग ब्लैडर कैंसर के शिकार हैं । इसके बाद तिरुवनंतपुरम (4.9) और कोलकाता (4.0) है। डिब्रूगढ़ (1.1) में सबसे कम हैं । वहीं, महिलाओं की बात करें तो इसमें भी दिल्ली आगे है। यहां एक लाख की आबादी पर 1.7 महिलाओं में ब्लैडर कैंसर की शिकायत है । इसके बाद मुंबई (1.1) और मिजोरम (1.1) का स्थान है ।