RANCHI : सोशल मीडिया आज के दौर की जरूरत बन गई है, कहें तो यह समाज का एक अभिन्न अंग बन गया है. आज के समय कई लोग इस सोशल मीडिया से प्रभावित देखे जा सकते हैं. कोई इसे पॉजिटिवली लेता है तो कोई इसके नकारात्मक प्रभावों से इंफ्लूएंस हो जाता है. किसी मुद्दे पर कोई व्यक्ति या समाज उस मुद्दे पर पर क्या सोचता है या उसको किस तरह वह सोशल मीडिया पर प्रस्तुत करता है यह विचारणीय हो सकता है. कभी कभी सोशल मीडिया पर उपलब्ध कंटेंट विवाद का कारण भी बनते हैं.
झारखंड सरकार बनाने जा रही है पॉलिसी
झारखंड सरकार सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया और न्यू मीडिया के लिए पॉलिसी बनाने जा रही है. पंजाब और बिहार ने इस तरह की पॉलिसी पहले ही बनाई हुई है. संभव है कि काफी हद तक यह पॉलिसी उन्हीं राज्यों की पॉलिसी का समावेश होगी. राज्य की सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा खाका तैयार किया जा रहा है.

कौन-कौन से प्लेटफॉर्म होंगे शामिल
इस पॉलिसी में इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म, न्यूज पोर्टल्स तथा वेबसाइट एवं मोबाइल ऐप्स को शामिल किया गया है. इस पॉलिसी का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना तथा सरकारी विज्ञापनों का नियंत्रित एवं पारदर्शी वितरण करना है. साथ ही अश्लील, राष्ट्रविरोधी गतिविधि, सांप्रदायिक द्वेष या भ्रामक खबर फैलाने पर ब्लैकलिस्टिंग या सूचीबद्धता रद्द करने का प्रावधान किया जा रहा है.
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क्या है मानदंड
आईपीआरडी में सोशल मीडिया को शामिल करने के लिए सख्त मानदंड तय किए जा रहे हैं.
- सोशल मीडिया हैंडल को कम से कम एक साल पुराना होना चाहिए. साथ ही सब्सक्राइबर या फॉलोअर्स की संख्या एवं ओरिजिनल कंटेंट की अनिवार्यता तय की गई है.
- यूट्यूब चैनल के लिए 10 लाख सब्सक्राइबर और हर महीने कम से कम 12 ओरिजिनल वीडियो आवश्यक है.
- एक्स(ट्विटर) के लिए 5 लाख फॉलोअर्स तथा हर महीने 30 पोस्ट या 15 वीडियो आवश्यक है.
- वेब मीडिया के लिए बीते छः महीने के एवरेज मंथली यूनिक यूजर्स की ऑथेंटिक रिपोर्ट आवश्यक है. इसके लिए सिर्फ भारतीय या भारत में रजिस्टर्ड ऑफिस वाली विदेशी कंपनियों की वेबसाइट ही योग्य मानी जायेंगी.
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