RANCHI : झारखंड में लंबे समय से प्रतीक्षित पेसा एक्ट (PESA Act) की नियमावली को आखिरकार लागू कर दिया गया है, जिससे अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं को अभूतपूर्व अधिकार मिलेंगे. राज्य सरकार के इस फैसले को आदिवासी स्वशासन और स्थानीय लोकतंत्र को मजबूत करने वाला ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. अब ग्रामसभा की होगी निर्णायक भूमिका PESA नियम लागू होने के बाद अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी बड़े निर्णय से पहले ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य होगी.
खासकर – खनन परियोजनाएं जमीन अधिग्रहण, विकास कार्यों की स्वीकृति, प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इन सभी मामलों में ग्रामसभा का फैसला सर्वोपरि होगा. लघु वन उपज और जल संसाधनों पर अधिकार नए नियमों के तहत ग्रामसभा को महुआ, तेंदूपत्ता, साल बीज जैसे लघु वन उत्पादों के संग्रह और प्रबंधन का अधिकार मिलेगा. इसके साथ ही स्थानीय जल स्रोतों, तालाबों और नालों के संरक्षण और उपयोग का फैसला भी ग्रामसभा ही करेगी.
इसे भी पढ़ें : हिंदपीढ़ी, रांची में ‘दिशोम गुरु शिबू सोरेन इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कोचिंग संस्थान’ का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया उद्घाटन
आदिवासी समाज को मिलेगा सीधा लाभ
राज्य के अनुसूचित जिलों में रहने वाले आदिवासी समुदाय अब अपने क्षेत्र के विकास, संसाधनों और संस्कृति से जुड़े फैसले खुद ले सकेंगे। सरकार का मानना है कि इससे विस्थापन पर रोक, पारदर्शिता, स्थानीय लोगों की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा.
क्या है PESA Act?
PESA Act वर्ष 1996 में लागू हुआ था, जिसका उद्देश्य पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में ग्रामसभाओं को संवैधानिक अधिकार देना है. कई राज्यों में यह पहले से लागू था, लेकिन झारखंड में इसके नियमों की कमी के कारण इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका था.
इसे भी पढ़ें : झारखंड सरकार की सख्ती, नदी-तालाब से जल उपयोग पर भी पाबंदी लागू
सरकार इसे आदिवासी अधिकारों की जीत बता रही है, जबकि सामाजिक संगठनों का कहना है कि अब असली परीक्षा जमीन पर इसके प्रभावी क्रियान्वयन की होगी.
