RANCHI : झारखंड में तेजी से घटते भूजल स्तर और वन क्षेत्रों में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप को देखते हुए राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वन क्षेत्रों में डीप बोरिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी, वहीं नदी, तालाब और अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी के उपयोग पर भी नियंत्रण लगाया गया है.
सरकारी निर्देशों के अनुसार, जंगल या वन भूमि में 300 फीट से अधिक गहराई तक बोरिंग करने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. यह फैसला खास तौर पर उन परियोजनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है, जिनके कारण हाल के वर्षों में जंगलों के भीतर और आसपास भूजल का अत्यधिक दोहन हुआ है.
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इसके साथ ही, वन क्षेत्रों में बहने वाली नदियों, तालाबों, डैम या जलाशयों से पानी निकालने के लिए अब वन विभाग से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा. बिना अनुमति जल उपयोग करने पर संबंधित एजेंसी या व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
वन एवं पर्यावरण विभाग का कहना है कि अनियंत्रित बोरिंग और जल दोहन के कारण जंगलों की प्राकृतिक नमी प्रभावित हो रही थी, जिससे वनस्पतियों और वन्य जीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. नए नियमों से पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी.
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सरकार ने यह भी व्यवस्था की है कि किसी भी निर्माण या विकास परियोजना को पहले यह स्पष्ट करना होगा कि जल की आवश्यकता कितनी है और उसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा. जांच और आकलन के बाद ही मंजूरी दी जाएगी.
राज्य सरकार का मानना है कि यह निर्णय झारखंड में जल संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में एक अहम कदम है. वन विभाग को नियमों के पालन की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है और उल्लंघन पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
