Akshay Kumar Jha
Ranchi : ऊपर लिखे शीर्षक को देखरकर आपको हैरानी जरूर हुई होगी. आप सोच रहे होंगे कि आखिर एसटी समुदाय से नाता रखने वाले रामेश्वर उरांव अगड़ी जाति के आलोक दुबे और लाल किशोरनाथ साहदेव के परिवार के सदस्य कैसे हो सकते हैं?. लेकिन यह सच है कि ये दोनों इनके परिवार का सदस्य हैं. ऐसा और कोई नहीं बल्कि खुद पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव कह रहे हैं. वो भी सरकारी दस्तावेज पर. दरअसल सारा मामला दिल्ली में बने नए झारखंड भवन में ठहरने का है. झारखंड में बने झारखंड भवन में ठहराने के लिए पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव ने इन दोनों कांग्रेस के पदाधिकारियों को अपना पारिवारिक सदस्य बना लिया है. जानिए क्या है पूरा मामला.
झारखंड भवन में ठहरने पर सरकार ने लगायी है पाबंदी
सरकार के मंत्रीमंडल सचिवालय निगरानी विभाग ने सितंबर में एक आदेश जारी किया. आदेश मुख्य सचिव के अनुमोदन के बाद जारी किया गया. आदेश में कहा गया कि राज्य के विभिन्न महानुभावों द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों एवं राज्य सरकार के कनिय पदाधिकारी के झारखंड भवन नई दिल्ली में निजी भुगतान पर कमरा आरक्षण पर निदेशानुसार तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगाने का निर्णय लिया गया है. विभाग का कहना है कि सिर्फ महानुभावों के पारिवारिक सदस्य ही दिल्ली झारखंड भवन में ठहर सकते हैं. लिहाजा महानुभाव कि पत्नी या पति. बच्चे या माता पिता ही झारखंड भवन में निजी भुगतान पर ठहर सकते हैं. जिसके बाद से महानुभावों ने अपने किसी भी परिचित को पारिवारिक सदस्य बनाकर अनुशंसा की परंपरा को शुरू कर दी है.
रामेश्वर उरांव ने लिखा दोनों हैं इनके परिवार के सदस्य
पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को एक पत्र लिखा है. लिखा है कि मेरे परिवार के सदस्य आलोक कुमार दुबे और लाल किशोरनाथ शाहदेव आवश्यक कार्य के लिए 12 से 16 दिसंबर 2025 तक दिल्ली प्रवास में रहेंगे. अतः वर्णित तिथियों को झारखंड भवन (नया) नई दिल्ली में दो कमरा भुगतान के आधार पर आरक्षित करने हेतु आवश्यक कार्रवाई करना चाहेंगे. चिट्ठी मिलने के बाद से ही विभाग इस बात से कन्फ्यूज है कि आखिर एसटी समुदाय के रामेश्वर उरांव अगड़ी जाति वाले आलोक दुबे और लाल किशोरनाथ शाहदेव के पारिवारिक सदस्य कैसे हो सकते हैं. ऐसे में लोकतंत्र 19 भी कन्फ्यूज है कि…
हालांकि विभाग के मंत्री और विभाग इस मामले को गंभीरता से ले रहा है. और जल्द ही मामले पर नए नियमों को लागू करने की बात हो रही है.
