Giridih : गिरिडीह जिले में लंबे समय से लंबित पड़े आपराधिक मामलों पर अब जिले के पुलिस कप्तान ने कड़ा रुख अपनाया है। पुलिस कप्तान डॉ. बिमल कुमार ने समीक्षा बैठक के बाद उन 145 जांच अधिकारियों की सैलरी रोकने का आदेश दिया, जिनके पास बड़ी संख्या में “पॉकेट पेंडिंग” केस फाइलों के रूप में दबे पड़े थे।
जानकारी के मुताबिक, जिले में करीब 2,560 मामले ऐसे पाए गए, जिनमें न तो जांच समय पर पूरी हुई और न ही फाइनल रिपोर्ट कोर्ट और ऑनलाइन सिस्टम में जमा की गई। एसपी के इस फैसले को जवाबदेही तय करने की सीधी और सख्त कार्रवाई माना जा रहा है।
पुलिस की भाषा में ऐसे केस, जिनको दैनिक रिपोर्ट से तो हटा दिया जाता है, लेकिन उनकी जांच पूरी नहीं होती, फाइनल रिपोर्ट (चार्जशीट/फाइनल फॉर्म) कोर्ट में नहीं जाती, और न ही सीसीटीएनएस पोर्टल पर अपडेट किए जाते, उन्हें “पॉकेट पेंडिंग” की श्रेणी में रखा जाता है। यही लंबित फाइलें बड़ी संख्या में जमा होकर अब पुलिस महकमे के लिए सवाल बन गई थीं। एसपी द्वारा की गई समीक्षा में जिन पुलिसकर्मियों के पास 7 या उससे ज्यादा केस लंबित मिले, उनकी सैलरी रोकने का निर्णय लिया गया। इनमें कई थानों के पुअनि और सअनि शामिल हैं।कुछ अधिकारियों के पास 40 से 75 तक पॉकेट पेंडिंग केस पाए गए, एक अधिकारी के खिलाफ पहले से ही रिश्वत लेने के मामले में कार्रवाई हो चुकी है, फिर भी उनके पास कई मामले लंबित मिले।
एसपी का साफ संदेश है कि जो अधिकारी समय पर केस की जांच नहीं करेंगे, वेतन रोकने से लेकर विभागीय कार्रवाई तक, हर विकल्प खुला है।एसपी की सख्ती की चर्चाएसपी डॉ. बिमल कुमार की इस पहल की आम लोगों में चर्चा हो रही है। लोग इसे “कामचोर व्यवस्था पर चोट” और “कागज़ों में नहीं, जमीन पर काम दिखाने वाला कदम” के रूप में देख रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक ने सभी थानों को निर्देश दिया है कि : लंबित मामलों की जांच जल्दी से जल्दी पूरी की जाए, फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाए, और सभी केस की ऑनलाइन एंट्री समय पर अपडेट की जाए। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में लंबित मामलों की नियमित मॉनिटरिंग होगी और प्रगति रिपोर्ट न देने वाले अधिकारियों पर और सख़्त कार्रवाई की जा सकती है।
इस कार्रवाई के बाद लोगों में उम्मीद जगी है कि अब उनके FIR और केस फाइलों पर तेज़ी से सुनवाई और जांच होगी, सालों से फाइलों में दबे केसों पर भी आगे बढ़ने की संभावना बनेगी, और पुलिस की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जिम्मेदारी दोनों बढ़ेगी। गिरिडीह से एक मजबूत संदेश गया है – “लापरवाही नहीं, जिम्मेदारी ही अब पुलिस व्यवस्था की पहचान होगी।”
