L-19 DESK : क्या कांग्रेस ने अपना विधायक दल का नेता चुन लिया है ? क्या सीनियर विधायक रामेश्वर उरांव को नहीं मिलेगी CLP लीडर की कुर्सी ? क्या मंत्री पद गंवाने के बाद अब रामेश्वर उरांव विधायक दल के नेता के पद से भी हाथ धो बैठे हैं ? क्या उनकी जगह किसी नये युवा चेहरे को कांग्रेस मौका देने जा रही है ?
दरअसल, झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस ने विधानसभा का चुनाव मंईयां सम्मान योजना के बल पर लड़ा और गठबंधन को इसमें बड़ी सफलता भी मिली। लेकिन हैरानी की बात ये रही कि जिस महिला कल्याण विभाग के तहत ये मईयां योजना संचालित हो रही थी, उस विभाग को संभालने वाली मंत्री बेबी देवी अपनी सीटिंग सीट डुमरी से हार गयी। स्व. जगन्नाथ महतो जैसे लोकप्रिय नेता की अर्धांगिनी होने के बावजूद बेबी देवी न तो सहानुभूति बटोर पायीं, न ही क्षेत्र में महिलाओं के बीच सबसे ज्यादा हिट होने वाली योजना के नाम पर लाभ उठा सकीं। उन्हें एक नौजवान नेता और बेहद कम समय में लोकप्रिय हुए टाईगर के नाम से मशहूर जयराम महतो ने मात दे दी। डुमरी ही नहीं, बल्कि कोयलांचल के इलाकों में चुनाव के दौरान भी जयराम महतो का क्रेज खासा देखने को मिला, यही वजह थी कि जयराम महतो ने बेरमो विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़कर 61 हजार के लगभग वोट्स अपने पाले में कर लिया।
हालांकि, यहां उन्हें जीत नहीं मिली। हार का कारण बने कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह। बाहरी भीतरी का मुद्दा बेरमो औऱ डुमरी जैसे इलाकों में चरम पर था, खुद कांग्रेस विधायक अनूप सिंह पर कई दफा बाहरी होने का आरोप लगता रहा है। इसके बावजूद उन्होंने जयराम महतो को शिकस्त देकर विधायिक की कुर्सी पर दोबारा कब्जा जमा लिया। जीत का अंतर भी कम नहीं था, 29 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से अनूप सिंह ने बाज़ी मारी।
बेशक, इस जीत के पीछे उनके दिवंगत पिता और पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह की ख्याति भी अहम भूमिका निभाती रही है, जिससे इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन इस चुनाव तक आते आते उन्होंने क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली, जिसका फायदा उन्हें वोटों के तौर पर मिला। खैर, जेएमएम कांग्रेस बीजेपी आजसू–सबकी खटिया खड़ी करने वाले जयराम महतो को जिस शख्स ने हराकर कांग्रेस की लाज बचायी, माना जा रहा है कि पार्टी अब उन्हें बड़ा इनाम देने जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, युवा नेता अनूप सिंह को कांग्रेस विधायक दल का नेता बना सकती है, जिसकी पूरी संभावना बन रही है। वहीं, सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव का नाम ड्रॉप हो सकता है। इसके पीछे वाजिब कारण भी हैं। पहला कारण तो अनूप सिंह की कड़ी मेहनत को माना जा रहा है, जिसके लिये वह इनाम के पात्र हो सकते हैं।
पार्टी में वह एक प्रमुख चेहरा हैं, जो क्षेत्र से लेकर सदन तक काफी मुखर रहते हैं। उनमें एक अच्छे वक्ता और नेतृत्वकर्ता का गुण है। इसके अलावा, जाति भी एक बड़ा फैक्टर हो सकता है। दरअसल, हेमंत कैबिनेट में इस बार किसी भी सवर्ण जाति के लीडर को मंत्री पद नहीं दिया गया, जिसकी खूब आलोचना भी हुई। ये उम्मीद कांग्रेस से भी थी, क्योंकि इंडिया गठबंधन में ज्यादातर समय जेनरल वोटर्स को साधने की जिम्मेदारी कांग्रेस की होती है। इस वजह से अब कांग्रेस सवर्ण जाति से ताल्लुक रखने वाले अनूप सिंह को विधायक दल का नेता बनाकर जेनरल वर्ग को गोलबंद कर सकती है।
इन सब के बीच एक बड़ी वजह ये भी है कि अनूप सिंह की कांग्रेस दल में अपनी एक विशेष जगह है। पार्टी में उनकी पकड़ काफी मजबूत है। मिसाल के तौर पर हम आम चुनाव को ही ले सकते हैं। कोयलांचल की एक सबसे महत्वपूर्ण सीट धनबाद लोकसभा में कांग्रेस ने अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को टिकट दिया, जबकि इस सीट पर कई बड़े नेताओं का दावा था। लेकिन उन सभी को दरकिनार करके कांग्रेस ने अनूप सिंह की पत्नी को ढुल्लू महतो के विरुद्ध खड़ा किया। वहीं, हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद गठबंधन में नाराज़गी और टूट की स्थिति बन रही थी। तब विधायकों को एकजुट रखने के लिये जो शख्स कल्पना सोरेन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा था, उसमें एक महत्वपूर्ण नाम अनूप सिंह का था।
माना जाता है कि विपक्षी दल भाजपा ने नाराज़ कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में करने की बेतहाशा कोशिश की, लेकिन अनूप सिंह ने अपनी सूझ बूझ से उनके किये कराये पर पानी फेर दिया। इससे समझा जा सकता है कि अनूप सिंह की अपनी पार्टी कांग्रेस में पकड़ कितनी मजबूत है। नेताओं से लेकर पार्टी आलाकमान तक के गुड बुक्स में वह शामिल हैं, जिस वजह से इस बार उन्हें अपने मेहनत का फल मिल सकता है। एक और कारण सीएम हेमंत सोरेन से उनकी नज़दीकी को भी माना जा रहा है। दरअसल, अनूप सिंह शुरुआत से ही हेमंत सोरेन के बेहद करीबी रहे हैं। गठबंधन का सहयोगी होने के नाते CLP leader जैसी बड़ी जिम्मेदारी के लिये सीएम की सिफारिशों को भी तरजीह दी जाती है। इन सब वजहों से कांग्रेस इस बार अनूप सिंह को विशेष स्थान दे सकती है, उन्हें विधायक दल का नेता घोषित कर सकती है।