रांची : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा संचालित सीजीएल परीक्षा का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य के छात्रों में भारी नाराजगी है। सोमवार को कड़ी धूप में भी दिनभर जेएसएससी कार्यालय के समक्ष डटे रहे। आंदोलन का सशरीर समर्थन देने कई छात्र नेता आंदोलन स्थल पहुंचे, और आंदोलनरत छात्रों का मनोबल बढ़ाया। सरकार और आयोग के गलत कर्मों पर खूब बोले। और कहा कि जब राज्यपाल के द्वारा सरकार को प्रश्नपत्र लिक आउट का जांच करने को आदेश दिया है। तो फिर मनमाने तरीके से आनंन-फानन में आंसर सीट की जारी करना गलत है। परीक्षा में इंटरनेट सेवा बंद करना और आंदोलन स्थल में छात्रों को डराने के लिए निषेधाज्ञा लागू करना तुगलकी फरमान का संकेत है। सरकार तमाम साबूतो को संज्ञान में लेते हुए स्वतंत्र जांच करें और परीक्षा को रद्द करें।बताते चलें कि यह परीक्षा 21 और 22 सितंबर को राज्य के विभिन्न परीक्षा केदो में ऑफलाइन संचालित किया गया था। उस दिन से ही प्रश्नपत्र लिक आउट होने का विवाद लगातार चल रही है। जेएसएससी कार्यालय घेराव को लेकर सुबह से ही छात्रों का जमावड़ा शुरू हो गया था। रोकने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा कड़े बेरी कटिंग और सैकड़ो पुलिस बल को तैनात किया गया था। फिर भी छात्रों ने “परीक्षा रद्द करो” के आवाज को बुलंद करते हुए बैरिकेडिंग के समीप दिन भर डटे रहे। प्रशासन के साथ कई बार नोक-झोंक भी हुआ। बाद में देर शाम को छात्र मंडली के उदय मेहता, विशाल पॉल, विनय सिंह, काजल मंडल, कुणाल प्रताप, रोहित सिंह द्वारा आयोग के पदाधिकारीयों से वार्ता हुआ। आयोग के सचिव ने सकारात्मक आश्वासन देते हुए कहा कि मामले की संपूर्ण जांच के उपरांत ही रिजल्ट का प्रकाशन किया जाएगा।