l19/DESK : नए मतदाता सूची जारी होते ही रांची विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की तादाद राज्य में सबसे अधिक बढ़ गई है,वहीं संथाल परगना के लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम इजाफा हुआ है। यह आंकड़ा लोकसभा चुनाव के लिए तैयार मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं की संख्या और विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम के बाद मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन से पता चलता है। ज्ञात हो कि रांची से अभी विधायक सीपी सिंह तथा लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट से दिनेश विलियम मरांडी विधायक हैं।
बताते चलें की लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड की मतदाता सूची में दो करोड़ 56 लाख 73 हजार 706 मतदाताओं के नाम दर्ज थे, जो 25 जून से 24 जुलाई तक चले विशेष मतदाता पुनरीक्षण कार्य़क्रम के बाद बढ़कर दो करोड़ 59 लाख पांच हजार 627 हो गए हैं। इस तरह मतदाताओं की संख्या में बीते दो तीन महीनों के अंदर दो लाख 31 हजार 921 का इजाफा हुआ है। बता दें आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची का मूल प्रारूप यही रहेगा। हालांकि डोर-टू-डोर सर्वे के बाद प्रारूप में गड़बड़ी सर्वे आने के बाद इनमें बदलाव संभव है। इसके साथ ही गलती से मतदाता सूची से नाम हट जाने, किसी के देहांत या फिर तबादले अथवा दूसरे कारणों से राज्य के अंदर एक जगह से दूसरी जगह जाकर स्थायी निवास बनाने या दूसरे प्रदेश से राज्य में आने या यहां से जाने के कारण भी ऐसा संभव होगा।
वही अगर सर्वाधिक वोटरों की संख्या की बात करे तो रांची विधानसभा सीट पर 4583 मतदाता बढ़ने के बाद दूसरे नंबर पर सबसे अधिक मतदाता कांके विधानसभा क्षेत्र में बढ़े हैं,जहां 4092 मतदाता बढ़े हैं। कांके के बाद तीसरे नंबर पर वोटरों की संख्या में सबसे अधिक इजाफा धनबाद विधानसभा क्षेत्र में हुआ है, यहां कुल 3567 वोटर बढ़े हैं,इसके बाद हजारीबाग में 3545 और मांडर में 2996 वोटर बढ़े हैं।
ज्ञात हो कि पिछले चार महीने में ही मतदाताओं की ज्यादा बढ़ी संख्या वाले विधानसभा क्षेत्रों पर बात करें तो टॉप 5 में से चार राज्य के बड़े शहर हैं। इस सूची में पहले और दूसरे नंबर की विधानसभा सीटें रांची और कांके तो राजधानी का हिस्सा हैं। यहां प्रशासनिक और कारोबारी गतिविधियां भी बड़े पैमाने पर संचालित की जाती हैं। इस कारण इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में नए बसने वाले लोग लगातार आते रहते हैं। इसी तरह टॉप 5 की तीसरे और चौथे नंबर की विधानसभा सीटें धनबाद और हजारीबाग भी राज्य के बड़े शहर हैं। धनबाद को तो राज्य का कोल कैपिटल भी कहा जाता है. हजारीबाग भी ज्यादा बढ़ते शहरीकरण वाला शहर है। टॉप-5 के पांचवें पायदान वाली विधानसभा सीट मांडर का भी कई कारणों से शहरीकरण हो रहा है। चार महीने में मतदाताओं की संख्या का बढ़ना चुनावी रुझान की जगह राज्य में वास के लिए पसंदीदा बनते ठिकानों की प्रवृत्ति को ज्यादा दिखा रहा है।