रांची।राँची बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में झारखंड की चित्रकला शैली पर कार्यशाला सह प्रदर्शनी की शुरुआत कल्याण मंत्री श्री दीपक बिरुआ ने नगाड़ा बजाकर किया। 5 से 10 अगस्त तक चलने वाले इस प्रदर्शनी में सोहराई, कोहबर, जादोपाटिया, पाटकर एवं समकालीन चित्र शैलियों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। उद्धघाटन के दौरान मंत्री श्री दीपक बिरुआ ने कहा कि विश्व आदिवासी महोत्सव के मौके पर राज्य की आदिवासी संस्कृति का प्रदर्शन किया जाएगा, ताकि विश्व को झारखंड के आदिवासी समुदाय की संस्कृति से परिचित कराया जा सके। उन्होंने कहा कि आदिवासी महोत्सव एक मंच है, जो हमारी संस्कृति को नया आयाम देगा। उन्होंने आदिवासी संस्कृति की सुरक्षा, संवर्धन को लेकर भी अपने विचार साझा किये।
देश के अन्य राज्यों की आदिवासी संस्कृति का होगा समागम: कृपानंद झा
इस मौके पर विभागीय सचिव श्री कृपानंद झा ने कहा कि इस आयोजन में नृत्य, गीत की परम्परा का भी प्रदर्शन होगा और पूरे देश की आदिवासी संस्कृति का समागम देखने को मिलेगा। कहा, हमें झारखंड की परंपरागत कला और संस्कृति को समृद्ध बनाने के लिए भी काम करना है। विभाग इसे लेकर काफी संवेदनशील है। उन्होंने बताया कि चित्रकला प्रदर्शनी में कुल 57 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
आदिवासियत को सामने लाने का एक प्रयास है महोत्सव: कल्याण आयुक्त
कल्याण आयुक्त श्री अजयनाथ झा ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस महोत्सव में झारखंड की आदिवासी संस्कृति को उकेरा जाएगा। चित्रकला के लिए महोत्सव में एक बड़ा कैनवास लगाया जा रहा है, जिसपर आदिवासी संस्कृति से जुड़ी भावनाओं को महोत्सव में आने वाले लोग उकेर सकेंगे। उन्होंने कहा कि झारखंड की चित्रकला के विशेषज्ञ भी इस कार्यशाला सह प्रदर्शनी में प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित रहेंगे, जो यहां की संस्कृति से जुड़ी पहलुओं की जानकारी देंगे साथ ही प्रशिक्षण भी देंगे। बताया, सभी आगंतुकों के लिए आवासन और भोजन की व्यवस्था की गई है।इस अवसर पर टीआरआई की नमिता रानी टूटी सहित कल्याण विभाग के कई पदाधिकारी और कलाकार उपस्थित थे।