L19/Desk. कुछ ही घंटों में मुख्यमंत्री के सचिव विनय चौबे को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव के अतिरिक्त प्रभार से संबंधित नोटिफिकेशन को समाप्त कर दिया गया ऐसा कार्मिक प्रशासनिक और राजभाषा सुधार विभाग की तरफ से किया गया. आइएएस विनय चौबे सीएम सचिवालय में मुख्यमंत्री के सचिव के अलावा नगर विकास एवं आवास विभाग, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के प्रमुख भी हैं। इसके अलावा ग्रेटर रंची डेवलपमेंट सोसाइटी के प्रबंध निदेशक के पद पर भी विनय चौबे कार्यरत हैं।
जानकारी के अनुसार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव का पद राजीव अरुण एक्का को पंचायती राज विभाग का सचिव बनाये जाने के बाद से खाली थी। इसी पद पर विनय चौबे की पोस्टिंग की गयी थी। पर कुछ ही घंटों में उनका तबादला संबंधी आदेश को विलोपित कर दिया गया. सरकार के इस निर्णय को लेकर ब्यूरोक्रेसी में चर्चाओं का बाजार गर्म है। यह कहा जा रहा है कि जिस तरह नोटिफिकेशन को कैंसल किया गया, उससे सरकार की कार्यप्रणाली स्पष्ट दिख रही है।
कुछ दिन पहले भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का का एक वीडियो सार्वजनिक किया था.। इस वीडियो में आइएएस राजीव अरुण एक्का एक निजी कार्यालय में फाइलों को निबटा रहे थे। जिन संचिकाओं का निबटारा कराया जा रहा था, उसमें पावर ब्रोकर विशाल चौधरी की प्रतिनिधि सहयोग कर रही थी। इस वीडियो के जारी होने के बाद शाम को राजीव अरुण एक्का को सरकार की तरफ से पंचायती राज विभाग में पदस्थापित कर दिया गया।
इससे पहले राजीव अरुण एक्का गृह एवं कारा विभाग तथा, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव का कामकाज देख रहे थे। राजीव अरुण एक्का पर भाजपा की ओर से राजभवन से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक शिकायत की गयी और उन्हें किसी भी महत्वपूर्ण पद से हटाने की मांग की गयी थी। साथ ही उनके द्वारा फाइलों के निबटारे में किये गये लेन-देन की जांच करने की मांग भी की गयी थी। इसका असर दिखने लगा है।
हालांकि आइएएस अफसर राजीव अरुण एक्का ने कई मीडिया में यह सफाई दी कि उनका 31 वर्ष का कैरियर बेदाग रहा है। यदि कैरियर बेदाग था, तो वो कैसे किसी निजी कार्यालय में संचिकाओं को निबटा रहे थे, जो एक सूरसा की मुंह की तरह बड़ा सवाल है। इसका जवाब सरकार के पास भी नहीं है। 22 सेकेंड के वीडियो को देखने के बाद किसी और साक्ष्य की जरूरत नहीं होती है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का कामकाज भी अब बड़ा हो गया है। बजट भी 50 करोड़ से अधिक का है।
सरकार की योजनाओं को सोसल मीडिया से लेकर फेसबुक, ट्वीटर औऱ यूट्यूब के जरिये लोगों तक पहुंचाना भी है। इसके अलावा राजधानी समेत सभी प्रमुख शहरों में मुख्यमंत्री के नाम बड़े होर्डिंग्स और पोस्टर बनवाये जाते हैं। जिसके लिए विभागीय प्रमुख का होना जरूरी है।
फिलहाल सरकार ने आइपीआरडी निदेशक के रूप में राजीव लोचन बख्शी को रख रखा है, जिन पर साहेबगंज में कई स्टोन क्रशरों को कंसेंट टू ऑपरेट का लाइसेंस देने का गंभीर आरोप भी लग चुका है। छह दिन से आइपीआरडी सेक्रेटरी का पद खाली है। अब यह देखना जरूरी है कि सरकार पर विपक्ष हावी हो रहा है अथवा सरकार संभल कर पांव रखने की जुगत में है। वैसे भी इन दिनों नयी उत्पाद नीति को लेकर अखबारों से लेकर अन्य मीडिया में खबरें सुर्खियां बन रही हैं।
यह विभाग विनय चौबे जी के पास है। नयी दिल्ली के डिप्टी सीएम उत्पाद नीति को लेकर इडी की हिरासत में हैं। इडी छत्तीसगढ़ से लेकर झारखंड तक शराब कारोबारियों का लिंक खंगालने में लगी है। ऐसे में सरकार का यह निर्णय की आइपीआरडी सेक्रेटरी कोई दूसरे आइएएस को बनाया जाये, इसका इंतजार करने की जरूरत है। हो सकता है कि यह भी एक कारण रहा हो कि विनय चौबे से संबंधित नोटिफिकेशन को विलोपित कर दिया गया।